देवशयनी एकादशी (6 जुलाई) से भगवान विष्णु की योग निद्रा के साथ चातुर्मास शुरू हो गया है। इस साल चातुर्मास 118 दिन का है और 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग जाएंगे। विष्णु जी सृष्टि का संचालन करते हैं, लेकिन जब वे विश्राम करते हैं, तब शिव जी सृष्टि का भार संभालते हैं।चातुर्मास में मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं होते हैं, लेकिन ये चार महीने पूजा-पाठ, मंत्र जप, सत्संग, ग्रंथों का पाठ, ध्यान करने के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
पुराने समय में चातुर्मास के दिनों में संत-महात्मा एक जगह ठहरकर भक्ति और तप करते थे, क्योंकि बारिश के समय में नदी-नालों में बाढ़ रहती थी, ऐसे में एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा करना मुश्किल था, इसलिए संत-महात्मा चातुर्मास में यात्रा से बचते थे और एक जगह ठहरकर भक्ति किया करते थे।चातुर्मास में सावन माह में शिव जी आराधना पूरे महीने करनी चाहिए। शिवलिंग पर रोज जल-दूध चढ़ाना चाहिए। इसके बाद जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का विशेष अभिषेक किया जाएगा। फिर गणेश उत्सव, श्राद्ध पक्ष, नवरात्रि, दशहरा और दीपावली जैसे उत्सव मनाए जाएंगे। 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही भगवान विष्णु की योग निद्रा पूरी होगी और श्रीहरि सृष्टि का भार संभाल लेंगे।
चातुर्मास के नियम और संयम
- इस समय ब्रह्मचर्य, संयम और सात्त्विक आहार को प्राथमिकता दें।
- अनावश्यक क्रोध, विवाद, मांस-मदिरा, तामसिक भोजन से बचें।
- संभव हो तो एक समय भोजन करें या व्रत रखें।
- इस समय ध्यान, न्योग और सत्संग करें।
क्यों खास होता है चातुर्मास का समय ?
यह समय आत्मिक शुद्धि, मन की स्थिरता और धार्मिकता को बढ़ाने का होता है।चातुर्मास में किया गया पुण्य सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी होता है।इस समय पूजा-पाठ और भक्ति से जीवन में सकारात्मकता आती है।
चातुर्मास में कौन-कौन से शुभकाम करें?
- विष्णु जी या उनके अवतारों की पूजा करें। श्रीमद्भानवत, विष्णु पुराण का पाठ करें। रोज “लगी मजगी वासुदेवात मंत्र का जप करें।
- तांबे के लोटे में जल भरें और बोलते हुए सूर्य को जल पढ़ाएं। यदि सूरज के दर्शग नही हो पा रहे हीं तो पूर्व दिशा की और मुंह करके जल अर्पित करें।
- शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करें। चंदन का लेप करें, बेल पत्र और आंकड़े के फूल चढ़ाएं। ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। शिवपुराण या शिवजी की पत्राओं का पाठ करें।
- बाल गोपालपाल का पंचामृत से अभिषेक करें। लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहनाएं, द्वार फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ गाथान-मिश्री का मीन लगाएं। “कृ कृत्वाय नमः वा राधा मंत्र का जप करें।
- हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं। सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। श्रीराम चरित मानस का पाठ करें। “राम राम नाम का जाप करें।
- गरीबी को भीजन, कपड़े, छाता, जूते-चप्पल का दान करें।गरीबो की सेवा करें, किसी गौ शाला में दान हैं। बरसात के मौसम में जरूरतमंदों को रेनकोट या छाता दान कर सकते हैं।