फॉर्मल और इनफॉर्मल सेक्टर में अंतर?
फॉर्मल सेक्टर मतलब वो नौकरियां या बिजनेस जहां सब कुछ साफ-साफ और नियमों के तहत होता है। जैसे सरकारी दफ्तर, बैंक, बड़ी फैक्ट्रियां, या मल्टीनेशनल कंपनियां। यहां सैलरी फिक्स्ड होती है, प्रोविडेंट फंड, हेल्थ इंश्योरेंस, और छुट्टियां जैसे फायदे मिलते हैं।
इनफॉर्मल सेक्टर वो है जहां काम ढीले-ढाले ढंग से होता है और ज्यादा नियम-कानून नहीं होते। जैसे छोटी दुकानें, स्ट्रीट वेंडर, ऑटो रिक्शा ड्राइवर, या घरों में सिलाई का काम। यहां सैलरी या कमाई तय नहीं होती, कोई PF या इंश्योरेंस नहीं मिलता, और काम के घंटे भी अनियमित होते हैं।
सवाल-जवाब के जरिए इस पूरे मामले को समझते हैं…
सवाल 1: इस हड़ताल में कौन-कौन शामिल हो रहा है?
जवाब:ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अमरजीत कौर ने कहा- 25 करोड़ से ज्यादा वर्कर इस हड़ताल में शामिल होने वाले हैं। किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस प्रदर्शन का समर्थन करेंगे।
इसमें बैंक, डाक, कोयला खनन, बीमा, परिवहन, फैक्ट्रियां और निर्माण जैसे कई सेक्टरों के कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा, किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस विरोध में शामिल होंगे। रेलवे और टूरिज्म जैसे सेक्टरों को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है।
सवाल 2: ट्रेड यूनियनों ने ये हड़ताल क्यों बुलाई है?
जवाब: ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां मजदूरों और किसानों के खिलाफ हैं। उनका आरोप है कि सरकार कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का निजीकरण कर रही है, मजदूरों के हक छीन रही है और चार नए लेबर कोड्स के जरिए मजदूरों के हड़ताल करने और सामूहिक सौदेबाजी जैसे अधिकारों को कमजोर कर रही है।
सवाल 3: इस हड़ताल से क्या-क्या प्रभावित होगा?
जवाब: इस हड़ताल से कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। खास तौर पर:
- बैंकिंग: सरकारी और कोऑपरेटिव बैंक बंद रह सकते हैं या सेवाएं सीमित हो सकती हैं।
- डाक सेवाएं: कामकाज ठप हो सकता है, जिससे डाक डिलीवरी में देरी हो सकती है।
- परिवहन: सरकारी बसें और स्टेट ट्रांसपोर्ट सेवाएं रुक सकती हैं, जिससे परेशानी होगी।
- कोयला खनन: कोयला खनन और औद्योगिक इकाइयों में काम रुक सकता है।
- बीमा सेक्टर: LIC और दूसरी बीमा कंपनियों के दफ्तरों में कामकाज प्रभावित होगा