मुंबई- सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इस साल की शुरुआत में म्यूचुअल फंड (MF) फोलियो और डीमैट अकाउंट के लिए नॉमिनेशन प्रोसेस को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था। 1 मार्च से नॉमिनेशनल प्रोसेस में कुछ अहम बदलाव नजर आने लगेंगे। नॉमिनेशन को लेकर नियमों में हुए बदलाव 1 मार्च से लागू होने जा रहे हैं। चलिए जान लेते हैं कि क्या कुछ बदलाव 1 मार्च से देखने को मिलेगा।
SEBI का मानना है कि नए नियमों का उद्देश्य क्लेम ना किए गए एसेट्स को कम करना और इन्वेस्टर्स की संपत्ति का बेहतर मैनेजमेंट है। पिछले कुछ सालों से लगातार इस बात को लेकर चिंता बढ़ी थी कि कई इन्वेस्टर्स के निधन के बाद उनके परिवार वालों को उनके इन्वेस्टमेंट का क्लेम लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
नॉमिनेशन प्रोसेस में क्या बदलाव 1 मार्च से देखने को मिलेगा
1 मार्च से लागू होने वाले नियमों के मुताबिक म्यूचुअल फंड्स और डीमैट अकाउंट्स के इन्वेस्टर्स के लिए अब नॉमिनी को घोषित करना अनिवार्य होगा। यहां जो बात ध्यान देने वाली है, वह यह कि इन्वेस्टर को खुद ही अपना नॉमिनी चुनना होगा और यह अधिकार पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर्स के पास नहीं होगा।
अब इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो और डीमैट अकाउंट में मैक्सिमम 10 नॉमिनी चुन पाएंगे। इन नॉमिनीज को ज्वॉइंट होल्डर्स के रूप में देखा जा सकता है या फिर अलग-अलग सिंगल अकाउंट या फोलियो के लिए भी अलग-अलग नॉमिनी चुना जा सकता है। इससे इन्वेस्टर्स को ज्यादा ऑप्शन तो मिलेंगी ही, साथ ही साथ पारदर्शिता भी बढ़ेगी। 10 जनवरी को SEBI ने सर्कुलर जारी कर दिया था और अब 1 मार्च से यह बदलाव देखने को मिलेंगे।
नॉमिनी की क्या डिटेल्स इन्वेस्टर्स को भरनी होंगी
इन्वेस्टर्स ऑन-लाइन और ऑफ-लाइन दोनों तरीकों से अपने नॉमिनी डिटेल्स को अपडेट कर सकेंगे। नए नियमों के मुताबिक इन्वेस्टर्स को अब अपने नॉमिनी की ज्यादा डिटेल्स देनी होंगी, जिसमें PAN कार्ड नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस या उनके आधार के आखिरी चार नंबर शामिल होंगे। इन्वेस्टर्स को इसके अलावा नॉमिनी का कम्युनिकेशन डिटेल्स और उसके साथ अपना रिश्ता भी बताना होगा। अगर नॉमिनी माइनर है, तो ऐसी स्थिति में इन्वेस्टर को उसकी डेट ऑफ बर्थ भी देनी होगी।