मैं धारक को रुपये की राशि का भुगतान करने का वचन देता हूं, जान लें नोट पर लिखे वचन पीछे का कारण

नौकरी से लेकर बिजनस भी हर कोई पैसा कमाने के लिए ही करता है. सभी देशों की करेंसी भी अलग होती है, जैसे भारत में जहां रुपया चलता है, वहीं अमेरिका में डॉलर और बाकी देशों में दूसरी करेंसी चलती है. लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आपके जेब में जितने भी रुपये का नोट है, उस पर एक वचन लिखा होता है.  भारत में नोट जारी करने का काम भारतीय रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई करता है. आरबीआई भारत में मुद्रा को प्रिंट करता है और उसका प्रबंधन करता है. इसके अलावा आरबीआई केंद्र सरकार और दूसरे हितधारकों से सलाह-मशविरा करके हर साल ज़रूरी बैंक नोटों की मात्रा का अनुमान लगाता है. इसके बाद वह मुद्रा मुद्रण प्रेसों को बैंक नोटों की आपूर्ति के लिए मांगपत्र भेजता है.

भारतीय करेंसी का पहला नोट

अब आपके दिमाग में ये सवाल आता होगा कि आरबीआई ने पहला नोट कब जारी किया था. भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी. मतलब आजादी से पहले देश में रिजर्व बैंक की नींव पड़ चुकी थी. वहीं आरबीआई ने अपनी स्थापना के तीन साल बाद साल 1938 की जनवरी में पहली बार 5 रुपये का करेंसी नोट जारी किया था. इस नोट पर ‘किंग जॉर्ज VI’ की तस्वीर प्रिंट हुई थी. इसके बाद उसी साल 10 रुपये के नोट जारी हुए थे. वहीं मार्च में 100 रुपये के नोट और जून में 1,000 रुपये करेंसी नोट जारी हुए थे.

आजाद भारत का पहला नोट 

आजाद भारत का पहला करेंसी नोट 1 रुपया रिजर्व बैंक द्वारा साल 1949 में जारी किया गया था. साल 1947 तक रिजर्व बैंक द्वारा जारी नोटों पर ब्रिटिश किंग जॉर्ज की तस्वीर छपती थी. वहीं रिजर्व बैंक ने पहली बार साल 1969 में स्मरण के तौर पर गांधी जी की तस्वीर वाले 100 रुपये के नोट जारी किये थे.

नोट पर क्या लिखा होता है वचन?

आप भारतीय रुपये के किसी भी नोट पर देखेंगे तो उस पर लिखा होता है कि “मैं धारक को रुपये की राशि का भुगतान करने का वचन देता हूं” इसके नीचे तत्कालीन आरबीआई गवर्नर का नाम और साइन होता है. दरअसल यह वाक्य करेंसी नोट पर सिर्फ इसलिए मुद्रित किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आरबीआई ने मुद्रित करेंसी के मूल्य के बराबर सोना सुरक्षित रखा है. यह वचन पत्र नोट धारक को यह आश्वासन देता है कि आरबीआई किसी भी मामले/स्थिति (गृहयुद्ध, विश्व युद्ध या कोई प्राकृतिक आपदा, मंदी या अति मुद्रास्फीति आदि) में डिफॉल्टर नहीं हो सकता है. आसान भाषा में यदि किसी के पास 100 रुपये का नोट है, तो उसे उसके विनिमय मूल्य के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि किसी भी स्थिति में आरबीआई उसे 100 रुपये के मूल्य के बराबर सोना/सामान देने के लिए उत्तरदायी है.

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