अकोला- नौ ग्रहों में से एक गुरु को देवताओं का गुरु बृहस्पति माना जाता है। ये ग्रह इस समय वृष राशि में है और 4 फरवरी की रात ये ग्रह वक्री से मार्गी हो गया है। 15 मई को गुरु राशि बदलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। 2025 में गुरु तीन बार अपनी राशि बदलेगा, ऐसा गुरु के वक्री होने की वजह से होगा। 19 अक्टूबर को गुरु कर्क में प्रवेश कर लेगा। कर्क राशि में ही ये ग्रह 12 नवंबर से वक्री हो जाएगा। वक्री रहते हुए गुरु 3 दिसंबर को मिथुन में आ जाएगा। इस तरह गुरु 2025 में तीन बार राशि बदलेगा।
ज्ञान और धर्म का प्रतीक
ज्ञान और धर्म का प्रतीक है गुरु बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है। ये ग्रह ज्ञान और धर्म का प्रतीक है। गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए विशेष पूजा-पाठ की जाती है। आमतौर पर गुरु की पूजा लाल, पीले, भगवा वस्त्र पहनकर की जाती है। इस ग्रह ग्रह के लिए चने की दाल का दान किया जाता है। धनु और मीन राशि का स्वामी है गुरु ज्योतिष में गुरु को धनु और मीन राशि का स्वामी माना जाता है। जिसकी कुंडली में गुरु शुभ है, वह व्यक्ति ज्ञानी होता है और समाज में मान-सम्मान पाता है।
ये ग्रह कर्क राशि में उच्च का और मकर में नीच का माना जाता है। कुंडली में गुरु की शुभ स्थिति से व्यक्ति को धन, शिक्षा, सुखी वैवाहिक जीवन मिलता है। कुंडली में गुरु ग्रह की महादशा 16 साल की होती है। ये लगभग 13 महीनों में एक राशि ठहरता है, लेकिन वक्री और मार्गी होने से इस समय में फेरबदल होते रहता है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह
पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है गुरु ग्रह बृहस्पति सूर्य के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। ये पृथ्वी से लगभग 11 गुना बड़ा है। गुरु ग्रह गैस से बना ग्रह है। इस ग्रह का वातावरण हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से मिलकर बना है। गुरु ग्रह के 90 से ज्यादा चंद्रमा हैं। इनमें गैलीलियन चंद्रमा, यूरोपा, गैनीमेड सबसे प्रमुख चंद्रमा हैं। बृहस्पति अपनी ग्रेविटी की वजह से बड़ी-बड़ी उल्कापिंडों को अपनी ओर खींच लेता है, जिससे कई पृथ्वी उल्कापिंडों से बची रहती है।