खेती का महत्वपूर्ण औजार है कुदाल, हजारों साल पुराना है इसका इतिहास

खेती में इस्तेमाल होने वाले कई उपकरण अब पुराने पड़ चुके हैं. कई औजारों का अब इस्तेमाल काफी कम हो गया है. लेकिन कुदाल एक ऐसा कृषि औजार है, जिसका इस्तेमाल आज भी बना हुआ है. कुदाल खेतों में हजारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है. प्राचीन मिस्र से लेकर रोमन युग तक में कुदाल का जिक्र है. चलिए आज आपको कृषि से जुड़े इस खास औजार के इतिहास के बारे में बताते हैं.

कैसा होता है कुदाल-

कुदाल कृषि में इस्तेमाल होने वाला एक औजार है. यह जमीन खोदने और काटने के काम आता है. कुदाल का इस्तेमाल खेती के अलावा बागवानी में भी किया जाता है. सटीक निराई में विशेष कुदाल का इस्तेमाल होता है. कुदाल में लोहे की बनी एक पतली फाल होती है. जिसमें लकड़ी का बेंत लगा होता है.

क्या है कुदाल का काम-

Traditionele landbouwtechnieken

कुदाल का काम जमीन खोदने में किया जाता है. यह गड्ढा खोदने से लेकर नाली बनाने तक में काम आता है. खेतों में कियारी बनाने में इसका सबसे बड़ा इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही आलू और गन्ना के खेतों में इसका सही प्रयोग होता है. पहले गन्ने की रोपाई में कुदाल का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि समय के साथ इस तरीके में बदलाव आया है और अब ट्रैक्टर से गन्ने की बोआई होती है.

मिट्टी को आकार देने में भी कुदाल बड़ा काम आता है. खेतों में खरपतवार हटाने और मिट्टी को साफ करने में इसका इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही उथली खाइयां खोदने में भी ये काम आता है.

कुदाल का इतिहास-

कुदाल चलाने की प्रथा की जड़ें प्राचीन सभ्यताओं में है. समय के साथ कुदाल के स्वरूप और इस्तेमाल में भी बदलाव हुआ.  कुदाल का इतिहास हजारों साल पुराना है. विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं में कुंदाल जैसे औजार के प्रमाण मिलते हैं. प्राचीन मिस्र में लकड़ी और जानवरों की हड्डियों से बने कुदाल का इस्तेमाल होता था. उस दौर में मिस्र में नील की खेती में होता था. इसके अलावा रोमन साम्राज्य में भी कुदाल जैसे औजार का जिक्र है.

एशिया में भी कुदाल जैसे औजारों का जिक्र जगह-जगह मिलता है. जापान में इसे कुवा कहा जाता था. यह एक दिल के आकार का कुदाल होता था और इसका इस्तेमाल चावल की खेती में किया जाता था. चीन में इसे जिग कुदाल का प्रयोग हुआ. इसमें आगे की तरफ मुड़ी हुई ब्लेड थी. इसका इस्तेमाल मिट्टी को तोड़ने में किया जाता था.

भारत में कुदाल का इतिहास-

भारत में भी कुदाल का इस्तेमाल हजारों सालों से किया जा रहा है. संस्कृत में कुदाल को कुद्दाल, कुद्दार कहा जाता है. जबकि प्राकृत में कुद्दलपा, कुद्दाली, गुजरात में कोदालों, पंजाब में कुदाल, बंगाल में कोदाल और महाराष्ट्र में कुदल कहा जाता है.उपनिवेश काल में कुदाल और हल पहाड़ियाा और संथाल आदिवासी समुदायों के प्रतीक थे. पहाड़िया कुदाल का इस्तेमााल स्थानांतरित खेती करते थे. जबकि संथाल हल का इस्तेमाल स्थाई खेती के लिए करते थे.

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