मुंबई-महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की महायुति सरकार के मंत्रिमंडल का रविवार को विस्तार हो गया है. फडणवीस कैबिनेट में कुल 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें 33 कैबिनेट और 6 राज्यमंत्री शामिल हैं. शिंदे के नेतृत्व में ढाई साल चली सरकार से काफी अलग फडणवीस की कैबिनेट नजर आ रही. सत्ता का चेहरा ही नहीं बल्कि मंत्रिमंडल की संख्या और स्वरूप भी बदल गया है. फडणवीस ने अपनी कैबिनेट में अपने सहयोगी दलों को ही साधने का काम नहीं किया बल्कि जातीय समीकरण और क्षेत्रीय बैलेंस भी बनाने की कोशिश की है, जिसके लिए कई दिग्गज नेताओं की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर नए चेहरों को जगह दी है.
33 कैबिनेट मंत्री एवं छह राज्यमंत्री
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपानीत महायुति को भारी बहुमत मिलने के बाद पांच दिसंबर को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की, एवं पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 10 दिन बाद रविवार को राज्य की उपराजधानी नागपुर के राजभवन में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने 39 नए मंत्रियों को शपथ दिलवाई। इनमें 33 कैबिनेट मंत्री एवं छह राज्यमंत्री हैं।
फडणवीस के मंत्रिमंडल में आज 39 ने ली शपथ
संख्या के आधार पर भाजपा के 19, शिवसेना के 11 एवं राकांपा के नौ मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। अब मुख्यमंत्री एवं दो उपमुख्यमंत्रियों को मिलाकर राज्य मंत्रिमंडल में कुल मंत्रियों की संख्या 42 हो गई है। यह मंत्रिमंडल विस्तार राज्य विधानमंडल के नागपुर में शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से ठीक एक दिन पहले हुआ है।
शिंदे के करीबी की भी छुट्टी
छगन भुजबल राकांपा के तो वरिष्ठ नेता हैं ही, महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के भी सबसे वरिष्ठ नेता माने जाते हैं। इसी प्रकार सुधीर मुनगंटीवार भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वह 1995 में पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार सहित 2014 की फडणवीस सरकार एवं 2022 की शिंदे सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। वहीं अब्दुल सत्तार एवं दीपक केसरकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाते हैं। इस बार इन दोनों का भी पत्ता कट गया है।
कैबिनेट मंत्री
राज्यमंत्री
फडणवीस ने साधा जातीय समीकरण
देवेंद्र फडणवीस ने कैबिनेट के जरिए जातीय और सियासी समीकरण को साधने का दांव चला है. बीजेपी कोटे से बनाए गए 19 मंत्रियों की फेहरिस्त देखें तो ओबीसी से लेकर मराठा, दलित, आदिवासी ही नहीं बल्कि ब्राह्मण और कायस्थ को भी साधकर चलने की कोशिश की है. इसीलिए ओबीसी से सबसे ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं, जिसमें 11 ओबीसी मंत्री बनाए गए हैं तो पांच मराठा समुदाय को जगह दी गई है. इसके अलावा एक राजपूत, एक दलित और एक आदिवासी को मंत्री बनाया गया है. बीजेपी ने सत्ता की बागडोर ब्राह्मण को सौंपी है तो ओबीसी से सबसे ज्यादा मंत्री बनाए हैं.