नयी दिल्ली- अंटार्कटिका में माइनस 40 डिग्री का तापमान, चारों ओर सैकड़ों किलोमीटर तक जमी बर्फ और बर्फीली हवाएं। इनके बीच 200 किलोग्राम की स्लेज (बर्फ पर खींची जाने वाली गाड़ी) को खींचता अकेला शख्स। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक इंसान की हिम्मत और चुनौतियों को अपनाने के जज्बे की मिसाल है।यह मिसाल कायम की है 40 साल के इंडो-अमेरिकन एक्स-मरीन ऑफिसर अक्षय अजय नानावटी ने। अक्षय इन दिनों ऐसी दुर्गम यात्रा पर निकले हैं, जिसके बारे में सोचने से ही रूह कांप जाती है। अक्षय ने 8 नवंबर को अंटार्कटिका में 110 दिन की ‘द ग्रेट सोल क्रॉसिंग’ नाम की एक ऐसी यात्रा शुरू की है, जिसे उन्हें अकेले ही पूरा करना है।
इस कोस्ट-टू-कोस्ट स्की अभियान में अक्षय 400 पाउंड (181 किलोग्राम) का वजन खींचते हुए 1,700 मील (2735.8 किलोमीटर) की दूरी तय करेंगे। अगर वे सफल हो जाते हैं, तो वे पृथ्वी पर सबसे ठंडे, सबसे शुष्क, सबसे तूफानी और सबसे निर्जन महाद्वीप को बिना किसी मदद के अकेले पूरा करने वाले पहले इंसान बन जाएंगे।
चार साल कड़ी ट्रेनिंग करके यात्रा के लिए तैयार हुए
पेशे से आंत्रप्रेन्योर, स्पीकर और राइटर अक्षय का यह साहसिक अभियान चार साल की कड़ी ट्रेनिंग का नतीजा है। इसमें उन्होंने न केवल शारीरिक फिटनेस पर ध्यान दिया गया, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को इस चुनौती के लिए तैयार किया है।ये यात्रा किसी भी तरह से आसान नहीं रहने वाली है। अक्षय के पोलर मेंटॉर लार्स एबेसन का कहना है, “यह अभियान एक बेहद कठिन और अनूठा फिजिकल वर्क है, जिसे अब तक किसी ने भी अकेले नहीं किया है। इसका सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू यह है कि यह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से अत्यधिक दबाव डालता है।”
10 दिन तक अकेले कमरे में बंद रहकर की ट्रेनिंग
अंटार्कटिका के एक्स्ट्रीम वेदर के अलावा अक्षय को एक और चुनौती का सामना करना पड़ेगा। इस अभियान के दौरान लगभग चार महीने तक वे पूरी तरह से अकेले रहेंगे। अंटार्कटिका के एक कोने को छोड़कर, जहां पेंगुइन हैं, बाकी हिस्से में कोई जीवन नहीं है।
इस एक्सपिडीशन की ट्रेनिंग उनके लिए आसान नहीं रही। बर्फ में ट्रेनिंग के दौरान अंटार्कटिका में एक्सल हेइबर्ग ग्लेशियर पर चढ़ते समय नानावटी को अपनी दो उंगलियों के सिरे ठंड के कारण खोने पड़े। इसके अलावा एक्स्ट्रीम कंडीशन में शांत रहने के लिए के लिए उन्हें हार्ड ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा। वे 10 दिन तक एक छोटे से अंधेरे कमरे में पूरी तरह से अकेले रहे।
बर्फ पर चलने के लिए रेगिस्तान में ली ट्रेनिंग
अक्षय और उनकी पत्नी मेलिसा एरिजोना में रहते हैं। उन्होंने अलास्का जैसी ठंडी जगहों और आइसलैंड, नॉर्वे, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका जैसे देशों में कई महीने बिताए, लेकिन उनकी अधिकतर ट्रेनिंग रेगिस्तान में हुई। उन्होंने तेज गर्मी में स्कॉट्सडेल पार्क के चारों ओर कई टायर खींचकर स्लेज खींचने का अभ्यास किया। अक्षय ने रॉक क्लाइम्बिंग, स्काईडाइविंग और मरीन के साथ युद्ध में भाग लिया, जिससे उन्हें अपनी बाउंड्रीज को पुश करने का अवसर मिला।
हाई फैट फूड बनेगा इस चुनौती में मददगार
अक्षय ने हाई फैट वाला आहार अपनाया, क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट की तुलना में अधिक कैलोरी प्रदान करता है। नॉर्वे में उन्होंने स्की तकनीक सुधारने के लिए एबेसेन के साथ प्रशिक्षण लिया। एबेसेन ने बताया कि सही तकनीक से ऊर्जा बचाने में मदद मिलती है।नानावटी प्रतिदिन 5,800 कैलोरी का सेवन करने की योजना बना रहे हैं ताकि वह 8,000 से 10,000 कैलोरी बर्न कर सकें। उनका फूड विशेष रूप से हाई विटामिन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर है। उनकी पत्नी मेलिसा का कहना है कि वह लगभग 23 किलोग्राम (50 पाउंड) वजन कम करेंगे।