अंग्रेजों को दहेज में दिया गया था भारत का ये पूरा शहर, कमाल की है ये पूरी कहानी

 

मुंबई -आज के समय में घर या कार दहेज के रूप में दी जाती हैहालांकि अब इसका भी विरोध होता हैलेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब एक अंग्रेज को भारत का एक पूरा शहर दहेज में दे दिया थाजी हांसुनकार आपको हैरानी जरुर होगी लेकिन ये सच है और ये शहर कोई और नहीं बल्कि देश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला सपनों का शहर मुंबई थाचलिए देश के इतिहास से जुड़ा ये दिलचस्प किस्सा जानते हैं.

कब और कैसे अंग्रेज को दहेज में दिया गया था मुंबई?

16वीं शताब्दी में पुर्तगाली यात्री वास्को डी गामा भारत पहुंचे थेउन्होंने मुंबई के द्वीप को जीतकर उसका नाम बॉम्बे रख दिया थापुर्तगालियों ने यहां एक किला बनाया और व्यापारिक गतिविधियां शुरू कीं. 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय ने पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रगंजा से शादी कीइस शादी में पुर्तगाल ने इंग्लैंड को दहेज में बॉम्बे शहर दे दियायह सौदा 1661 में हुआ था.

यह शादी दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए की गई थीइसके अलावा बॉम्बे उस समय एक जरुरी व्यापारिक केंद्र थायह सौदा इंग्लैंड के लिए एक बड़ी जीत थी क्योंकि इससे उन्हें भारत में पैर जमाने का मौका मिला.

अंग्रेजों ने मुंबई को बनाया व्यापारिक केंद्र

अंग्रेजों ने बॉम्बे को अपने नियंत्रण में लेकर इसे एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बना दिया थाउन्होंने यहां बंदरगाह का विकास किया और कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित कींधीरेधीरे बॉम्बे भारत का एक महत्वपूर्ण शहर बन गयाइसके बाद साल 1995 में बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गयाआज मुंबई भारत का सबसे बड़ा शहर और आर्थिक राजधानी हैयह फिल्म उद्योगवित्तीय सेवाएं और व्यापार का केंद्र हैमुंबई की समृद्ध विरासत में पुर्तगाली और ब्रिटिश शासन का भी योगदान है.

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