नई दिली -कोरोना काल में पहली बार ये हुआ कि लोग घरों में कैद हो गए। सड़कें सूनी पड़ी थीं। टीवी पर रामानंद सागर की रामायण चल रही थी। ऐसा लगा रहा था, मानो हम सब कुछ साल पीछे लौट आए हैं। इन दिनों पुराने समय की इलाज की पद्धतियां भी अचानक प्रासंगिक हो गईं। लोग अंग्रेजी दवा से अधिक भरोसा आयुर्वेद के काढ़े पर जता रहे थे। इसमें सबसे अधिक इस्तेमाल गिलोय का हो रहा था। आयुर्वेद में इसे बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। संस्कृत में इसे गुरुचि या अमृता भी कहा जाता है। गिलोय के ढेरों स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अगर इसका सही मात्रा में सेवन किया जाए तो यह वायु, पित्त और कफ तीनों तरह के दोषों को खत्म कर सकती है।
गिलोय को क्यों कहा जाता है अमृता
गिलोय को जीवनदायिनी कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति विकसित होने से पहले दवाएं लैब में नहीं तैयार होती थीं। ये हमारे घर के बगीचे या आसपास के जंगलों से लाई गई पत्तियों और जड़ों से तैयार की जाती थीं। जब कोई संक्रामक बीमारी फैलती तो पूरे गांव-के-गांव सिमटने लगते थे। लोग जीवन की आशा खो देते थे, तब गिलोय अपनी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी से लोगों की जान बचा लेती थी। इसीलिए इसे संस्कृत में गुरुचि या अमृती भी कहते हैं। कहने का आशय ये है कि गिलोय जीवनदायिनी है।
100 से ज्यादा बीमारियों को रखती है दूर
कहते हैं कि गिलोय आयुर्वेद की ऐसी दवा है, जिससे एक साथ कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इससे शरीर की छोटी-बड़ी लगभग 100 से ज्यादा परेशानियां दूर हो सकती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि परंपरागत रूप से गिलोय की मदद से किन बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है।
रक्त विकार में है फायदेमंद
खून में किसी तरह का विकार होने पर इसे शुद्ध करने के लिए गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर रक्त विकार से हुए कील-मुंहासे गिलोय का सेवन करने से खत्म हो जाते हैं।
त्वचा के विकारों में भी लाभकारी
यह एग्जिमा जैसे त्वचा विकार को खत्म करने के भी काम आती है। डॉ. अजय कहते हैं कि आचार्य चरक ने गिलोय को त्वचा के किसी भी रोग में फायदेमंद बताया है।
हाथ-पैर में जलन से राहत देती है
अगर हाथ-पैर या आंखों में जलन हो रही है, आंखों से आंसू निकलना नहीं बंद हो रहे हैं, यूरिन पास होने में जलन हो रही है तो मिश्री के साथ गुरुचि के पाउडर का सेवन करने से लाभ होता है।
डायबिटिक लोगों के लिए फायदेमंद
डायबिटिक लोगों के ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है, जो यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकलता है। इसलिए किडनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में नीम के ऊपर लगी गिलोय लेने से लाभ होता है।
डेंगू और मलेरिया में भी लाभकारी
डेंगू और मलेरिया जैसे बुखार में पपीता के पत्तों के साथ गिलोय का सेवन करने से लाभ मिलता है। इससे बीमारी दूर होने के साथ रिकवरी में भी तेजी आती है।
इम्यूनिटी को करती है मजबूत
गिलोय अपनी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज के लिए तो जानी ही जाती है। साथ ही यह इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसलिए कोरोना काल में इसका काढ़ा बनाकर पीने से लोगों को लाभ मिला। इससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और इम्यूनिटी मजबूत होती है।
त्वचा के लिए भी उपयोगी
गिलोय किसी भी तरह की स्किन एलर्जी में तो लाभकारी है ही, यह स्किन के टेक्सचर को भी सही रखती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स हमारी स्किन को मुलायम और चमकदार बनाए रखते हैं। झुर्रियां नहीं आती हैं। इसलिए गिलोय का सेवन करने से लोग लंबे समय तक जवान दिखते रहते हैं।
गिलोय की मेडिसिनल प्रॉपर्टीज
गिलोय एक ऐसी शॉप की तरह है, जहां एक साथ सबकुछ मिल जाता है। इसका मतलब है कि अगर गिलोय के काढ़े का लगातार सेवन किया जाए तो इससे ज्यादातर बीमारियां दूर रहती हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटीस्पाज्मोटिक जैसे तमाम गुण होते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं।
गिलोय के साइड इफेक्ट और सावधानियां
गिलोय के सेवन को लेकर कुछ सावधानियां बरतना भी जरूरी है।
- गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। खासकर अगर आपको कोई बीमारी है या आप दवाएं ले रहे हैं।
- ज्यादा गिलोय खाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है। संतुलन बहुत जरूरी है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- बच्चों को बिना डॉक्टरी रिकमंडेशन के गिलोय खाने को न दें।
- गिलोय ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है, इसलिए अगर आपको डायबिटीज है या आप शुगर की दवाएं ले रहे हैं तो गिलोय खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- इससे कब्ज हो सकता है। इसलिए अगर पाचन संबंधी समस्याएं हैं तो डॉक्टरी सलाह लें।
- इससे कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां ट्रिगर हो सकती हैं। इसलिए अगर पहले से कोई ऑटोइम्यून बीमारी है और इम्यूनिटी कमजोर है तो डॉक्टरी सलाह पर ही इसका सेवन करें।
- गिलोय का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका है, गिलोय पाउडर का काढ़ा बनाकर पीना।
- गिलोय के रस को सीधे पीने की सलाह नहीं दी जाती।