वैश्विक स्तर पर UPI ने दी भारत को नई पहचान देश में डिजिटल पेमेंट

नई दिल्ली- आज के समय में घर से निकलते वक्त पर्स घर पर रह जाए, तब भी हमें कोई फिक्र नहीं होती, क्योंकि हम जानते हैं कि स्मार्टफोन ही अब हमारा पर्स बन गया है। मौजूदा समय में पेमेंट के लिए कैश के साथ यूपीआई (UPI Payment) भी काफी अच्छा ऑप्शन हो गया है। आप 5 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये प्रतिदिन तक की पेमेंट यूपीआई की मदद से कर सकते हैं। और सबसे अच्‍छी बात है कि इस‍के लिए आपको कोई चार्ज भी नहीं देना होता। जहां वर्ष 2016 से पहले छुट्टे पैसों के लिए टेंशन रहती थी, अब ऐसा नहीं है। 1 रुपये तक के भुगतान के लिए यूपीआई मौजूद है।

यूपीआई के बारे में

वैसे तो यूपीआई की शुरुआत 2016 में हुई थी, लेकिन इसे पहचान कोरोना महामारी के बाद मिली है। बाजार में यूपीआई की हिस्सेदारी 2021 में बढ़ी है। अधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2016-2017 में जहां यूपीआई के जरिये 36 फीसदी पेमेंट होती थी। वहीं, 2021 तक यूपीआई भुगतान दर 63 फीसदी पहुंच गई। इससे साफ पता चलता है कि 5 साल में लोगों के बीच यूपीआई ने अपनी पहचान बना ली।

डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में यूपीआई की भूमिका

यूपीआई ने भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया है। आज करोड़ों लोग यूपीआई का इस्तेमाल करके बिना किसी बैंक ब्रांच में गए, अपने स्मार्टफोन से ही पेमेंट कर रहे हैं। यूपीआई ने डिजिटल पेमेंट को इतना सरल और सुलभ बना दिया है कि इसे न केवल शहरों में, बल्कि गांवों में भी बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।

यहां तक यूपीआई ने भारत को वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दी है। दुनिया भर के देश अब यूपीआई मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) की इस पहल ने भारत को डिजिटल लेन-देन में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित कर दिया है।

आज के समय में यूपीआई न केवल भारत की आर्थिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह देश की प्रगति और विकास का प्रतीक भी बन चुका है। यूपीआई का विकास भारत के वित्तीय और डिजिटल भविष्य में एक बड़ा योगदान देने वाला है। यह न केवल एक वित्तीय उपकरण है, बल्कि भारत की नयी पहचान का प्रतीक भी है, जो देश को डिजिटल युग में एक नई दिशा में ले जा रहा है।

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