मुंबई- ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका के कारण ग्लोबल मार्केट में निगेटिव सेंटिमेंट है। इसी का असर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला है।अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिसके कारण पिछले कारोबारी दिन अमेरिकी बाजार में गिरावट रही। इसका असर दुनियाभर के बाजारों में दिख रहा है।
वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने एपल में अपनी 50% हिस्सेदारी बेच दी है। वे अब कैश बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं। अन्य बड़े निवेशक भी सेलिंग कर रहे हैं।भारतीय शेयर बाजार के मौजूदा वैल्यूएशन बढ़े हुए हैं। खासकर मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में। बाजार में इस कारण अच्छा-खासा करेक्शन दिख सकता है।बैंक ऑफ जापान ने अपनी ब्याज दर 0% और 0.1% से बढ़ाकर 0.25% कर दी है। ये 15 सालों में उच्चतम स्तर है। इससे भी ग्लोबल सेंटीमेंट कमजोर हुए हैं।
इससे मंदी की आशंका बन रही है। इसके अलावा ईरान और इजराइल युद्ध के चलते जियो टेंशन्स बनी हुई हैं। रुपए में भी गिरावट है। इस समय निवेशकों के पोर्टफोलियो में डिफेंसिव स्टॉक जैसे FMCG और फार्मा शेयर होने चाहिए। आने वाले कुछ समय में बाजार में डोमेस्टिक और ग्लोबल मैक्रो फैक्टर के कारण वोलेटिलिटी (उतार-चढ़ाव) देखने को मिल सकता है।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी करीब 4% टूटा
BSE का मिडकैप इंडेक्स 1,718 अंक (3.60%) की गिरावट के साथ 45,956 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं स्मॉलकैप इंडेक्स 2,297 अंक टूटा है। ये 4.21% गिरकर 52,331 के स्तर पर आ गया। BSE लार्जकैप इंडेक्स 2.77% गिरकर बंद हुआ।