नाग पंचमी पर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर के कपाट खुलेंगे, विश्व में और कहीं नहीं है ऐसी मूर्ति

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में इस साल नाग पंचमी शुक्रवार, 09 अगस्त को मनाई जाएगी। यह तिथि भगवान शिव के आराधना के साथ-साथ नाग देवता की पूजा के लिए भी समर्पित मानी जाती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे खास मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पूरे वर्ष में केवल नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलता है।

कब खुलेगा मंदिर

इस बार नाग पंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर के पट 08 अगस्त की रात 12 बजे खोले जाएंगे, जो 09 अगस्त की रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। ऐसे में भक्त 24 घंटों तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन करता है उसे सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि मंदिर के खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है।

क्या है मंदिर की खासियत

नागचंद्रेश्वर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर विराजमान हैं। यहां पर नाग देवता की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है, जो 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है क यह प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी। इस प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उसके ऊपर शिव-पार्वती विराजमान हैं। यह एकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां विष्णु भगवान की बजाय भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। पूरे साल में इस मंदिर के पट केवल 24 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है।

केवल एक ही बार क्यों खुलता है मंदिर

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सर्पों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। इस तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पराज तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद से तक्षक नाग ने भगवान शिव के सान्निध्य में ही वास करने लगे। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पहले सर्पराज तक्षक चाहते थे कि उनके एकांत में कोई विघ्न न आए। यही वजह है कि केवल नाग पंचमी के अवसर पर उनके दर्शन होते हैं।

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