जाने कैसे हुई रहस्यमयी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना?

सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद खास माना जाता है। इस पूरे महीने में विधिपूर्वक से शिव परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है और महादेव का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से मनचाही मुराद पूरी होती है। इसके अलावा शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि देश में भगवान शिव को समर्पित एक ऐसा भी मंदिर है, जहां महादेव के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में दारूका नाम की एक राक्षस कन्या थी। उसने तपस्या के द्वारा माता पार्वती को प्रसन्न वरदान प्राप्त किया था।  दारुका ने कहा कि मैं वन नहीं जा सकती हूं। वहां पर कई तरह की दैवीय औषधियां हैं। सत्कर्म के लिए हम राक्षसों को उस वन में जाने की अनुमति दें। माता पार्वती ने यह वरदान दे दिया। इसके बाद दारूका ने वन में बहुत उत्पात मचाया और वन को देवी-देवताओं से छीन लिया। साथ ही सुप्रिया को बंदी बना लिया। वह शिवभक्त थीं।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों प्रसिद्ध है

गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहरी क्षेत्र की ओर यह मंदिर स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नागेश्वर मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती नाग-नागिन के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग  के नाम से जाना जाता है।देशभर में शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दसवां स्थान है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन टाइम

नागेश्वर मंदिर से सुबह 06 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 30 मिनट तक खुला रहता है। वहीं, शाम को 05 बजे से लेकर रात 09 बजकर 30 मिनट तक खुला रहता है। भक्त इस दौरान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं।

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