अगर आप स्पेस में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए. साल 2014 में आई ये फिल्म आपके होश उड़ा देगी. इस फिल्म में स्पेस, टाइम और ग्रेविटी के कई पहलुओं को छुआ गया है. इसके अलावा इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे धरती का एक इंसान स्पेस में जाता है और कई साल बाद जब वापिस लौटता है तो उसकी उम्र वैसी की वैसी ही रहती है और धरती पर मौजूद उससे बच्चे बूढ़े होकर मर जाते हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में स्पेस में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की उम्र धरती पर मौजूद लोगों से धीरे बढ़ती है. चलिए जानते हैं विज्ञान इस बारे में क्या कहता है.
रिसर्च में क्या मिला
साल 2015 में इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए दो जुड़वा भाईयों पर एक रिसर्च हुई. इस रिसर्च के दौरान एक भाई को लगभग एक साल के लिए स्पेस में भेज दिया गया और दूसरे भाई को धरती पर रखा गया. इस रिसर्च में लगभग 12 यूनिवर्सिटीज के 84 रिसर्चर काम कर रहे थे. साल 2019 में जब इस रिसर्च के नतीजे साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए तो सबसे होश उड़ गए.
क्या था नतीजा
सांइस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, दोनों जुड़वा भईयों में से एक स्कॉट जब स्पेस में पहुंचे तो उनके शरीर के लगभग एक हजार जीन्स में बदलाव आ गए. इन एक हजार बदलावों में सबसे बड़ा बदलाव टेलोमेयर में दिखा. टेलोमेयर क्रोमोजोम के सिरों में मौजूद एक प्रोटीन होता है. धरती पर जब इंसान होता है तो टेलोमेयर की वजह से वक्त के साथ डीएनए छोटा होने लगता है और इसकी वजह से कोशिकाओं में एजिंग दिखने लगती है, जो इंसान को बूढ़ा दिखाने लगता है. लेकिन स्कॉट के साथ ऐसा नहीं हो रहा था.
स्कॉट के स्पेस में जाते ही पाया गया कि उनके डीएनए का साइज लंबा हो रहा है. जैसे-जैसे स्पेस की यात्रा लंबी हो रही थी ये बदलाव भी तेज हो रहे थे. कुछ ही समय में लगने लगा कि स्कॉट अपने धरती पर मौजूद जुड़वा भाई से जवान दिखने लगे हैं. इस वक्त तक उनके जीन में लगभग 91.3 फीसदी तक बदलाव आ चुका था.
धरती पर वापिस आने के बाद क्या हुआ
ये बदलाव जितनी तेजी से हुए थे…धरती पर आने के 6 महीने के भीतर ही सब कुछ सामान्य हो गया. यानी जो स्कॉट स्पेस में अपने जुड़वा भाई से जवान दिख रहे थे, धरती पर आने के 6 महीने के बाद वो उसी की तरह बूढ़े दिखने लगे. कुछ ही समय में उनका डीएनए भी वैसा ही हो गया जैसा धरती पर रहते हुए था.