डॉलर के मुकाबले रूपया 9 पैसे गिरकर 83.53 पर आया निचे

नई दिल्ली- भारतीय मुद्रा में आज आज रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आज सुबह मंगलवार को रुपया डॉलर की तुलना में 83.51 रुपए के स्तर पर खुला। इसके बाद इसमें और गिरावट आई। जिसके बाद रुपया 83.53 के अपने सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा। इससे पहले रुपया सोमवार को 6 पैसे गिरकर 83.44 पर बंद हुआ था। बता दें कि इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपये ने सबसे निचला स्तर इसी माह की 4 अप्रैल को छू लिया था, जब रुपया डालर के मुकाबले 83.45 रुपए के स्तर पर जा पहुंचा था।

रुपए में गिरावट की कई वजहें

आज रुपए में बड़ी गिरावट की कई वजहें बताई जा रही हैं। इसमें एक वजह यह है कि हाल के दिनों में डॉलर मजबूत होकर उभरा है। दूसरी वजह मध्य पूर्व में संघर्ष और कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि को बताया जा रहा है। डॉलर अपने छह माह के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है। ईरान और इजरायल के बीच पिछले काफी दिनों से जारी विवाद ने अब युद्ध का रूप ले लिया है। यही वजह है निवेशक अपने शेयर बेचकर डॉलर में निवेश कर रहे हैं।

जानिए किन वजहों से गिरा रुपया

ईरान इजराइल संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की आशंका पैदा हो गई है। साथ ही सोना और चांदी अपने रिकार्ड हाई पर जा पहुंचे हैं। आखिर किस वजह से आई रुपए में गिरावट ? घरेलू बाजार का नकारात्मक ट्रेंड और विदेशी मुद्रा की बड़े पैमाने पर निकासी की वजह से भी रुपए के कमजोर होने की वजह रही है। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) लगातार भारतीय शेयर बाजारों से पैसे निकालने में लगे हैं।

गिरावट रोकने को आरबीआई दिया दखल

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दरों में कटौती नहीं करने की वजह से भी रुपए में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को गिरावट रोकने के लिए दखल देना पड़ा है। आरबीआई एक बार फिर रुपए में बड़ी गिरावट को रोकने में कामयाब रहा है। अगर रुपए की गिरावट और नीचे जाती तो इससे बड़ी परेशानी पैदा हो सकती थी। आरबीआई अगर हस्तक्षेप नहीं करता तो और गिरावट देखने को मिल सकती थी।

रुपए के गिरने का मतलब ज्यादा भुगतान

आज रुपए में बड़ी गिरावट का मतलब है कि विदेश से आने वाली सामन पर अब पहले की तुलना में ज्यादा भुगतान करना होता है। आयातित सामान के महंगा होने का असर विभिन्न रूपों में लोगों को प्रभावित करता है। महंगाई बढ़ने पर रेपो रेट में इजाफा होना स्वाभाविक है। इसका असर बैंकों से मिलने वाला ऋण पर भी पड़ता है। रुपये में गिरावट की वजह से विदेश में पढ़ाई से लेकर कोई उपभोक्ता वस्तु खरीदना पहले की तुलना में महंगा हो जाएगा। यह देश की अर्थव्यवस्था से लेकर भारतीय लोगों के जीवन तक को विभिन्न तरह से प्रभावित करता है।

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