आज सोने के दामों में 413 रुपए की गिरावट

नई दिल्ली- दुनिया में अभी दो जगह जंग चल रही है। रुस-यूक्रेन के बीच और इजराइल-फिलिस्तीन के बीच। इन जंगों से बने जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण सोने-चांदी के दाम ऑल टाइम हाई पर पहुंच गए हैं। वहीं ईरान की ओर से इजराइल पर किए मिसाइल अटैक से टेंशन और ज्यादा बढ़ गई है।

ऐसे में सेफ इन्वेस्टमेंट माने जाने वाले सोने-चांदी के दाम में आज भी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल यह 442 रुपए गिरकर 72,735 रुपए पर कारोबोर कर रहा है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट के मुताबिक, शुक्रवार को 10 ग्राम सोना 1,351 रुपए महंगा होकर पहली बार 73,174 रुपए का हो गया था।चांदी में भी आज गिरावट है। यह 413 रुपए गिरकर 83,506 रुपए पर कारोबार कर रही है। शुक्रवार को एक किलो चांदी का भाव 1,476 रुपए बढ़कर 83,819 रुपए हो गया था। साल 2024 में अब तक सोने के दाम 9,430 रुपए बढ़ चुके हैं। 1 जनवरी को सोना 63,302 रुपए पर था। वहीं, चांदी भी 73,395 रुपए प्रति किलोग्राम थी।

 जंग और मंदी में सोने-चांदी में आया उछाल

जंग के दौरान सोने की कीमतों में हमेशा उछाल देखा गया है। 1990-91 के दौरान गल्फ वॉर के दौरान सोने की कीमतों में उछाल आया था, लेकिन यह शॉर्ट टर्म था। इसी तरह 2003 में इराक युद्ध के दौरान सोने की कीमतों में तेजी आई थी।

  • कोरोना महामारी को कारण भारत समेत अन्य देशों में मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा था। तब 10 ग्राम सोने के दाम 41,000 रुपए के करीब थे। अगस्त तक दाम बढ़कर 55,000 के करीब तक पहुंच गए। हालांकि, बाद में इसमें गिरावट आई थी। दाम 50,000 से नीचे आ गए थे।
  • रूस-यूक्रेन जंग के समय भी सोने में तेजी आई। 24 फरवरी 2022 को रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था। 7 मार्च 2022 को सोने की कीमतों में लगभग ₹1000/10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई। 22 कैरेट सोने की कीमत ₹49,400/10 ग्राम और 24 कैरेट सोने की कीमत ₹53,890/10 ग्राम हो गई।
  • इजराइल-हमास जंग 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुई थी। तब सोने की कीमत 57,000 के करीब थी। 1 नवंबर तक कीमत बढ़कर 61,000 के करीब पहुंच गई। वहीं 1 जनवरी को कीमत 63,000 और अब 10 ग्राम सोने की कीमत 73,000 के पार पहुंच गई है।

सोने चांदी हैं सुरक्षित इन्वेस्टमेंट

महंगाई से बचाव: सोना ऐतिहासिक रूप से महंगाई के खिलाफ बचाता रहा है क्योंकि जीवनयापन की लागत बढ़ने पर इसकी कीमत बढ़ जाती है। पिछले 50 वर्षों में, निवेशकों ने उच्च मुद्रास्फीति वाले वर्षों के दौरान सोने की कीमतों में बढ़ोतरी और शेयर बाजार में गिरावट देखी है।

डीफ्लेशन प्रोटेक्शन: डीफ्लेशन उस स्थिति को कहा जाता है जब कीमतें कम हो जाती हैं, बिजनेस एक्टिविटी धीमी हो जाती है और अर्थव्यवस्था अत्यधिक कर्ज के बोझ तले दब जाती है। 1930 के दशक की महामंदी के बाद से वैश्विक स्तर पर इस तरह की स्थिति को नहीं देखा गया है।दुनिया के कुछ हिस्सों में 2008 के वित्तीय संकट के बाद थोड़ा डीफ्लेशन देखा गया था। मंदी के दौरान, सोने की कीमतें बढ़ गई थी। इसका कारण यह था कि लोगों ने नकदी जमा करना चुना और उस समय नकदी रखने का सबसे सुरक्षित स्थान सोना और सोने के सिक्के थे।

भूराजनीतिक अनिश्चितता: सोना न केवल वित्तीय अनिश्चितता के समय में बल्कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता के समय में भी अपना मूल्य बरकरार रखता है। इसे अक्सर “क्राइसिस कमोडिटी” कहा जाता है क्योंकि जब विश्व में तनाव बढ़ता है तो सोना अक्सर अन्य निवेशों से बेहतर प्रदर्शन करता है।

2023 में 8 हजार रुपए से ज्यादा महंगा हुआ था सोना

साल 2023 की शुरुआत में सोना 54,867 रुपए प्रति ग्राम पर था जो 31 दिसंबर को 63,246 रुपए प्रति ग्राम पर पहुंच गया था। यानी साल 2023 में इसकी कीमत में 8,379 रुपए (16%) की तेजी आई। वहीं चांदी भी 68,092 रुपए से बढ़कर 73,395 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।

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