नई दिल्ली- सरकार दिव्यांगों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनका मकसद शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को पढ़ाई और रोजगार करने में मदद देना है, ताकि वे आत्मनिर्भर हो सकें।केंद्र सरकार की ऐसी ही एक स्कीम है, दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना । आइए जानते हैं कि इस योजना की पात्रता क्या है और इसका लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
क्या है दिव्यांगजन स्वावलंबन योजना?
यह योजना पूरी तरह से दिव्यांग लोगों के लिए है। इसका मकसद दिव्यांगजनों को 12वीं के बाद उच्च शिक्षा और कौशल या आमदनी बढ़ाने का हुनर सीखने के लिए रियायती दर पर कर्ज उपलब्ध कराना है।अगर दिव्यांगजन अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कोई मशीन खरीदना चाहते हैं या फिर किसी मशीन या गाड़ी को अपनी दिव्यांगता के हिसाब से बदलना चाहते हैं, तो भी उन्हें मदद मिलती है।
योजना का लाभ उठाने की पात्रता क्या है?
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगता वाला कोई भी भारतीय नागरिक इस योजना का लाभ ले सकता है। लाभार्थी की उम्र 18 साल या इससे अधिक होनी चाहिए। हालांकि, अगर कोई मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर है, तो उसके लिए आयु सीमा 14 साल रखी गई है।अगर एजुकेशन लोन की बात करें, तो इसके लिए उम्र की कोई बंदिश नहीं है। लेकिन, बाकी मामलों में आयु प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
स्कीम के तहत कितना कर्ज मिल सकता है?
नेशनल हैंडीकैप्ड फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NHFDC) की अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से एक लाभार्थी को अधिकतम 50 लाख रुपये का रियायती कर्ज मिल सकता है। आप किस काम के लिए लोन ले रहे हैं, उसके हिसाब से ब्याज दर 5 से 9 प्रतिशत के बीच हो सकती है।अगर आप उच्च शिक्षा के कर्ज ले रहे, तो 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर भी मदद मिल सकती है।
कब चुकाना होता है लोन?
लाभार्थियों को लोन लेने की तारीख से 10 साल की समयसीमा के भीतर कर्ज चुकाना होता है। आप कितनी बार में कर्ज लौटाना चाहते हैं, यह आपकी सहूलियत पर निर्भर करता है। अगर आप समय से पहले लोन खत्म करना चाहते हैं, तो बिना प्री-पेमेंट फीस के कर्ज चुका सकते हैं।