बेंगलुरु-लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से कई नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन बीमारियों में फैटी लिवर एक बेहद आम समस्या है, जिसकी वजह से कई लोगों का लिवर प्रभावित होते हैं। नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर ऐसी कंडिशन होती है, जिसमें लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण लिवर के सामान्य फंक्शन में रुकावट आने लगती है।
क्यों होता है फैटी लिवर?
आमतौर पर, फैटी लिवर की समस्या उन लोगों के साथ अधिक होती है, जो मोटापे जैसी किसी मेटाबॉलिक डिजीज से पीड़ित होते हैं। लाइफस्टाइल और खान-पान से जुड़ी खराब आदतों की वजह से फैटी लिवर की समस्या लोगों में काफी बढ़ती जा रही है। वैसे तो, दवाइयों की मदद और जीवनशैली में सुधार करके इस कंडिशन को ठीक किया जा सकता है, लेकिन कई बार इस समस्या को अनदेखा करने की वजह से यह गंभीर रूप ले लेता है। वक्त पर फैटी लिवर का इलाज न होने की वजह से यह आगे चलकर, NASH में भी बदल सकता है।
क्या है NASH?
NASH, यानी Non-alcoholic steatohepatitis, नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर का इलाज न होने की वजह से होता है। इसमें लिवर में स्कार और सूजन होने लगती है। यह एक ऐसी कंडिशन होती है, जिसमें लिवर में एकस्ट्रा फैट इकट्ठा होने लगता है और इस कारण फाइब्रोसिस, स्कारिंग और लिवर में सूजन की समस्या भी हो सकती है।इस कारण लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है, जिसे लिवर डिसफंक्शन कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। फैटी लिवर के इस गंभीर रूप के इलाज के लिए हाल ही में एक दवाई की खोज हुई है। इससे पहले इस बीमारी के इलाज के लिए कोई कोई ऐसी दवाई बाजार में नहीं थी।