रविवार, 18 फरवरी को माघ मास की गुप्त नवरात्रि खत्म हो रही है। रविवार और गुप्त नवरात्रि नवमी के योग में देवी दुर्गा के साथ ही सूर्य देव की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए। माना जाता है कि सूर्य पूजा से ज्ञान, मान-सम्मान और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं के लिए साधनाएं की जाती हैं। ये साधनाएं विशेष साधक ही करते हैं, सामान्य लोगों को देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा इन दिनों में करनी चाहिए।
सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत
सूर्य को रविवार का कारक ग्रह बताया गया है। ये ग्रह सिंह राशि का स्वामी और सभी नौ ग्रहों का राजा है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं होती है, उन लोगों को हर रविवार सूर्य की विशेष पूजा करने की सलाह दी जाती है। रविवार की सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय के समय अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें और सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए अर्घ्य अर्पित करें। इस दिन सूर्य की चीजें जैसे गुड़, ताबें के बर्तनों का दान करना चाहिए।
माघ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
घटस्थापना शुभ मुहूर्त – 10 फरवरी, सुबह 8 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 1 घंटा 25 मिनट तक रहेगा।
कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
देवी पूजा में करना चाहिए गायत्री मंत्र का जप
देवी गायत्री का मंत्र स्वयं सिद्ध माना जाता है। इस मंत्र का जप करने से भक्त की पूजा बहुत सफल हो सकती है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी दुर्गा की पूजा करें और पूजा में दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद गायत्री मंत्र – ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।। का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। मंत्र का जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल करना श्रेष्ठ होता है।
इस मंत्र के जप से उत्साह और सकारात्मकता मिलती है, तामसिकता दूर होती है, परमार्थ कार्यों में रुचि जागती है, आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है।लगातार ध्यान करते हुए मंत्र जाप करने से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। रोज मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति का स्वभाव शांत और आकर्षक होने लगता है।
गुप्त नवरात्र का महत्व
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से ही साधना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इनमें 9 दिन तक मां दुर्गा की तंत्र साधना व तंत्र सिद्धि की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इन दिनों मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। हर युग में नवरात्रि का अपना अपना महत्व रहा है। सतयुग में चैत्र मास की नवरात्रि का अधिक प्रचलन था, वहीं त्रेतायुग में आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का, द्वापर युग में माघ मास की गुप्त नवरात्रि और कलयुग में अश्विन और शारदीय नवरात्रि को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।