शुरू हो गया माघ महिना जाने इस पवित्र माह की परंपराएं

हिंदू केलेंडर का 11वां चंद्रमास यानी माघ महीना 27 फरवरी तक रहेगा। इस बार ये महीना अश्लेषा नक्षत्र से शुरू हुआ है। इसमें पूर्णिमा पर मघा नक्षत्र होने के कारण ऋषि-मुनियों ने इसका नाम माघ रखा है।इस महीने में कई बड़े व्रत और पर्व आते हैं। जिनमें तीर्थ स्नान, दान और पूजा-पाठ करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म होते हैं और पुण्य फल भी मिलता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि माघ महीने में जप, होम और दान का विशेष महत्व है। इन तीन चीजों को अपने रोजमर्रा में शामिल करना विशेष है।माघ महीने में सूर्योदय से पहले नहाने, कई तरह का दान करने और भगवान विष्णु का स्तोत्र पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।

अब जानते हैं माघ महीने की परंपराएं…

व्रत और पूजा: माघ महीने में भगवान विष्णु के वासुदेव रूप की पूजा की जाती है। साथ ही उगते हुए सूरज को अर्घ्य देना चाहिए। इस महीने सूर्य के सहस्त्रांषु रूप की पूजा करनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि इस महीने में भगवान कृष्ण और शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए।शिव पूजा में तिल के तेल का दीपक लगाने से शारीरिक परेशानियां नहीं होती। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि माघ महीने के दौरान मंगल और गुरुवार का व्रत करने का विशेष फल मिलता है।

स्नान-दान: महाभारत और अन्य पुराणों में कहा गया है कि इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। विद्वानों का कहना है कि ऐसा न हो पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है। साथ ही पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए। इससे कई जन्मों के पाप खत्म होते हैं। इस महीने तांबे के बर्तन में तिल भरकर दान करना चाहिए।

व्रत और पर्व

माघ महीने में आने वाले व्रत और पर्व सकारात्मकता बढ़ाते हैं। इनमें गुप्त नवरात्र, वसंत पंचमी, एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा पूर्णिमा के मौके पर स्नान-दान की परंपरा है। ऋषि-मुनियों की बनाई इन परंपराओं से आपसी प्रेम, सहयोग, त्याग, दया और खुशी की भावना बढ़ती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here