अकोला– नवरात्रि के दिनों में विभिन्न स्थानों पर जोश के साथ रोषनाई में गरबा उत्सव तथा दांडिया का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए अक्सर भीड़ जुट जाती है. उसी तरह इस त्यौहार के बीच आकाश में उल्कापात भी देखने को मिलेगा. शनिवार यानि 21 तथा रविवार, 22 अक्तूबर को मृग नक्षत्र में देखने को मिलेगा. जिसमें रंगीन उल्काओं का अनोखा दृश्य आकाश में दिखेगा.
आकाश में एक क्षण में चमकनेवाली प्रकाश रेखा जिसे हम टूटा तारा कहते हैं लेकिन वह टूटा तारा नहीं बल्कि उल्का होती है. आकाश में प्रतिदिन रात के समय अलग-अलग हिस्से में उल्कापात होता है. लेकिन पृथ्वी की कक्षा तथा उल्का की कक्षा निश्चित होने से निर्धारित समय के दौरान तारों के बीच उल्कापात देखने को मौका मिलता है. सूर्य के घटक धुमकेतु सूर्य प्रदक्षिणा पूरी करते समय कुछ वस्तु अथवा बिंदू रास्ते में छोड़ देता है.
पृथ्वी जब उसके निकट से जाती है तो गुरुत्वाकर्षण की वजह से उक्त सभी खींचे जाते हैं और पृथ्वी की कक्षा में घर्षण की वजह से सभी वस्तुएं जल उठती है. यह उल्कापात विभिन्न प्रकाश रेखा के माध्यम से आंखों से देखने का मौका अक्सर हमें मिलता है. 21 तथा 22 अक्तूबर को आकाश प्रेमियों को इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा.
उल्कापात कब, कहां और कैसे देखें?
मध्यरात्रि के बाद पूर्व आकाश में तारों के समूह के चार स्पष्ट तारों के चौकोन में एक सीधी रेखा में तीन तारे दिखाई देंगे वहीं काल्पनिक रेखा आगे बढ़ाने पर एक तेजस्वी तारा दिखेगा. वहीं पृथ्वी से दिखनेवाला सबसे से तेजस्वी तारा व्याध है. सोते समय मुख पूर्व दिशा की ओर करने के बाद प्रति घंटा 20 की संख्या में उल्कापात दिखाई देगा.