इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी देवी दुर्गा, नवरात्रि की शुरुआत के वार से तय होता है देवी का वाहन

धर्म की बाते- रविवार, 15 अक्टूबर से देवी दुर्गा का नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो रहा है। रविवार को घट स्थापना होगा। ये पर्व 23 अक्टूबर तक चलेगा। इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है। शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, तब ज्यादा बारिश के योग बनते हैं।

वैसे तो देवी दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन नवरात्रि की शुरुआत में वार के अनुसार देवी का वाहन बदल जाता है। इस बार नवरात्रि रविवार से शुरू हो रही है, इस कारण देवी का वाहन हाथी रहेगा। देवी के इस वाहन का संदेश ये है कि आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है। लोगों को सुख-समृद्धि मिलेगी।

नवरात्रि की शुरुआत के वार से तय होता है देवी का वाहन

देवी भागवत में लिखा है कि नवरात्रि की शुरुआत जिस वार से होती है, देवी का वाहन उसके अनुसार तय होता है। सप्ताह के सातों दिन के लिए देवी के अलग-अलग वाहन बताए गए हैं। जैसे जब नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू होती है, तब देवी का वाहन हाथी रहता है। शनिवार या मंगलवार से नवरात्रि शुरू हो तो वाहन घोड़ा रहता है। गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि शुरू हो तो देवी मां डोली में सवार होकर आती हैं। जब बुधवार से नवरात्रि शुरू होती है तो देवी का वाहन नाव होता है।

नवरात्रि की शुरुआत में ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति

इस साल शारदीय नवरात्र पूरे नौ दिनों की है। नवरात्रि की शुरुआत में चंद्र तुला राशि में गोचर रहेगा। शनि और बुध अपनी-अपनी राशि में हैं। शनि कुंभ में और बुध कन्या में रहेगा। नवरात्रि के बीच में यानी 18 अक्टूबर को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा। तुला में सूर्य नीच का हो जाता है यानी इस राशि में सूर्य का बल कम हो जाता है। इन ग्रहों से शुभ फल पाने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में देवी पूजा करने से लाभ मिल सकता है।

नवरात्रि में ध्यान रखें ये बातें

नवरात्रि की प्रतिपदा से नवमी तक दुर्गा पूजा करने वाले भक्तों को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मन में गलत विचार न लाएं। श्रीदुर्गााशप्तसती का पाठ करें। नवरात्रि में व्रत करना चाहिए।नवरात्रि में छोटी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। जरूरतमंद कन्याओं को पढ़ाई की चीजें दान करें। कपड़े, जूते-चप्पल और धन का दान करें।जो लोग नवरात्रि में पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें गुस्से से बचना चाहिए। घर में क्लेश न करें। लालच, झूठ, नशा, नकारात्मक विचार, इन बुराइयों से बचें।

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