टेरर फंडिंग जांच में काम आएगा डेटा
भारत के साथ शेयर की गई डिटेल्स सैकड़ों फाइनेंशियल अकाउंट से जुड़ी है, जिसमें मल्टीपल अकाउंट भी शामिल हैं। इस डेटा का इस्तेमाल टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे गलत कामों की जांच में किया जाएगा। यह एक्सचेंज पिछले महीने हुआ था और इन्फॉर्मेशन का अगला सेट स्विटजरलैंड सितंबर 2024 में शेयर करेगा।
नाम-पते से लेकर अकाउंट बैलेंस की जानकारी
डेटा प्रोटेक्शन और गोपनीयता पर भारत में आवश्यक लीगल फ्रेमवर्क की समीक्षा सहित, एक लंबी प्रक्रिया के बाद स्विटजरलैंड ने भारत के साथ AEOI के लिए सहमति व्यक्त की थी। एक्सचेंज की गई डिटेल्स में नाम, पता, निवास का देश और टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर के साथ-साथ अकाउंट बैलेंस और कैपिटल इनकम से जुड़ी जानकारी शामिल है।
बेहिसाब संपत्ति वालों के खिलाफ केस बनाने में उपयोगी
एक्सपर्ट के अनुसार, भारत को मिला AEOI डेटा उन लोगों के खिलाफ एक मजबूत केस बनाने में काफी उपयोगी रहा है, जिनके पास बेहिसाब संपत्ति है। डेटा में डिपॉजिट और ट्रांसफर के साथ-साथ सभी कमाई की पूरी जानकारी होती है। सिक्योरिटीज और अन्य एसेट में निवेश शामिल है।
पांच नए देशों को किया गया शामिल
फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (FTA) ने कहा कि इस साल सूचनाओं के आदान-प्रदान की लिस्ट में पांच नए देशों को जोड़ा गया है। इनमें- अल्बानिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, नाइजीरिया, पेरू और तुर्की है। फाइनेंशियल अकाउंट की संख्या में लगभग एक लाख का इजाफा हुआ है।
स्विस अकाउंट क्या है?
स्विटजरलैंड में तमाम बैंक स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून के सेक्शन 47 के तहत बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार रखते हैं। अगर किसी ने स्विटजरलैंड में कोई अपराध नहीं किया है तो बैंक उसकी कोई भी जानकारी शेयर नहीं करता था। हालांकि साल 2017 में विश्व समुदाय के दबाव के बाद कानून में ढील दी गई और जानकारी शेयर होने लगी।