नई दिल्ली– डॉक्टरों को असामान्य रूप से बड़े साइनबोर्ड का उपयोग नहीं करना चाहिए। साइनबोर्ड पर अपने नाम, योग्यता, उपाधि, विशेषता या पंजीकरण संख्या के अलावा कुछ अतिरिक्त नहीं लिखा जाना चाहिए, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है कि जो चीजें साइनबोर्ड पर लिखी हों वही प्रिस्क्रिप्शन पेपर पर भी होनी चाहिए। रोगियों को डॉक्टर के बारे में पारदर्शी रूप से पता होना चाहिए, जिससे उनके लिए विशेषज्ञ के बारे में समझना आसान हो।
एनएमसी के एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (ईएमआरबी) ने अपनी ई-बुक: “प्रोफेशनल कंडक्ट रिव्यू – लेसन्स फ्रॉम केस आर्काइव्स” में ये सुझाव दिए हैं। इसमें कहा गया है कि डॉक्टर्स के साइनबोर्ड को किसी केमिस्ट की दुकान पर या उन जगहों पर लगाना भी अनुचित है जहां वह रहते या काम नहीं करते हैं।
मरीजों-डॉक्टरों के बीच मजबूत हो रिश्ता
ई-बुक में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मरीजों और डॉक्टरों के बीच का रिश्ता मजबूत होना चाहिए। डॉक्टर-मरीज के रिश्ते में विश्वास की कमी के कारण डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमेबाजी होती है, डॉक्टरों के खिलाफ शिकायतों का सबसे आम कारण मरीजों से संवाद की कमी होती है। आयोग ने कहा कि इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि साइनबोर्ड, विजिटिंग कार्ड, घोषणाओं आदि के माध्यम से जनता किसी भी प्रकार से गुमराह न हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए।