NBFC भी डिफॉल्ट पहचान कर पाएंगे
RBI ने कहा है लोन देने वाली रेगुलेटेड एंटिटी और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) नियमों के अनुसार डिफॉल्टर की पहचान कर सकती है। इससे पहले RBI के पास विलफुल डिफॉल्टर की पहचान करने के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं थी।
RBI ने ड्राफ्ट में कही चार बड़ी बातें
- रिजर्व बैंक ने कहा है कि लोन लेने वालों के अकाउंट के NPA हो जाने के 6 महीने के अंदर बैंकों को उसे डिफॉल्टर घोषित करना होगा।
- अगर लोन लेने वाला विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है। तो उससे वसूली के लिए कर्ज देने वाली संस्था कानूनी कार्रवाई करने के लिए फ्री होंगी।
- जानबूझ कर लोन नहीं चुकाने वालों को लोन रीस्ट्रक्चरिंग का कोई मौका नहीं दिया जाएगा। इसका मतलब एक बार लोन डिफॉल्ट करने पर लेनदेन की नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
- एक बार विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने के बाद व्यक्ति किसी कंपनी के बोर्ड में शामिल नहीं हो पाएगा।
डिफॉल्टर को सुनवाई के लिए मौका देंगे बैंक
RBI ने कहा है कि कर्ज देने वाली संस्थानों को एक रिव्यू कमेटी का गठन करना चाहिए और लोन डिफॉल्टर्स को उनका जवाब लिखित में देने के लिए 15 दिनों का समय देना चाहिए साथ ही जरूरत पड़ने पर उन्हें पर्सनल सुनवाई के लिए मौका भी देना चाहिए।’ड्राफ्ट मास्टर डायरेक्शन ऑन ट्रीटमेंट ऑफ विलफुल डिफॉल्टर्स एंड लार्ज डिफॉल्टर्स’ नाम से जारी एक नोटिफिकेशन में RBI ने पब्लिक और स्टेक होल्डर्स से सलाह मांगा है। लोग अपने विचार 31 अक्टूबर तक ईमेल के जरिए भेज सकते हैं।
देश के 50 विलफुल डिफॉल्टर पर ₹87,295 करोड़ बकाया
अगस्त 2023 में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि बैंकों के ₹87,295 करोड़ बकाया टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टर पर है। इसमें से ₹40,825 करोड़ केवल 10 टॉप डिफॉल्टर पर बकाया है। टॉप तीन की बात करें तो, मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड पर सबसे ज्यादा ₹8,738 करोड़, एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड पर ₹5,750 करोड़ और REI एग्रो लिमिटेड है, जिसपर ₹5,148 करोड़ का बकाया है।