पृथ्वी से कितनी दूर है हीरे वाला ग्रह?
हम जिस ग्रह की बात कर रहे हैं उसका आधिकारिक नाम 55Cancri E है. इसे वैज्ञानिकों ने साल 2004 में खोजा था. तब से ही दुनियाभर की सभी स्पेस एजेंसियों की नजर इस ग्रह पर है. वैज्ञानिकों ने इस ग्रह की खोज रेडियल वेलोसिटी के जरिए की थी. इसके बारे में सबसे खास बात ये है कि यह ग्रह किसी सूरज का नहीं बल्कि ऐसो तारों का चक्कर लगाता है जिनका कार्बन अनुपात ज्यादा होता है, यही वजह है कि इस ग्रह को कुछ लोग एक्सो प्लैनेट भी कहते हैं.
हीरे का कैसे बन गया ये पूरा ग्रह?
किसी भी आम इंसान के लिए ये एक बड़ा सवाल है. हीरे का प्राकृतिक रूप से निर्माण तभी होता है, जब कार्बन बहुत अधिक तापमान पर गर्म हो जाए. इस ग्रह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.इस ग्रह पर भी कार्बन का अनुपात ज्यादा है और यह जिन तारों का चक्कर लगाता है उन पर भी कार्बन का अनुपात ज्यादा है. ऐसे में जब ये ग्रह कार्बन के तारों का चक्कर लगाते हैं तो कई बार इनका तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि इन पर मौजूद ग्रेफाइट हीरे में बदल जाता है.
बहुत तेजी से बीतता है वक्त
इस ग्रह के बारे में एक बात और बहुत खास है कि यहां समय बहुत तेजी से बीतता है. यहां मात्र 18 घंटे में एक साल पूरा हो जाता है. जबकि इस ग्रह के तापमान की बात करें तो ये 2000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है. वहीं पृथ्वी से इसकी दूरी की बात करें तो ये धरती से 40 प्रकाश वर्ष दूर है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की इस ग्रह पर नजर बनी हुई है.