नई दिल्ली- कक्षा सातवीं के छात्र अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की भी पढ़ाई करेंगे. एनसीईआरटी ने इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया है. यह पहल रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है. सातवीं के सिलेबस में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक पूरा चैप्टर ‘हमारे बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि’ होगा.
मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पहल का उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण और साहस, बलिदान के मूल्यों को विकसित करना और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाना है.चैप्टर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के इतिहास, महत्व और अवधारणा पर प्रकाश डालेगा. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसमें आजादी के बाद देश की सेवा में सशस्त्र बलों के बहादुरों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान के बारे में भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा.
इस चैप्टर को दो दोस्तों के बीच बातचीत के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है, जो एक-दूसरे के साथ पत्र साझा करते हैं और बहादुरों द्वारा किए गए बलिदानों के कारण मिली स्वतंत्रता के लिए अपनी कृतज्ञता की भावनाओं को व्यक्त करते हैं. मंत्रालय ने कहा कि प्रतिष्ठित स्मारक देखने के दौरान बच्चों के मन और दिल में जो गहरा भावनात्मक प्रभाव और जुड़ाव पैदा होता है, उसे एनसीईआरटी के लेखकों ने रचनात्मक ढंग से चैप्टर में प्रस्तुत किया है.
कब हुई थी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना?
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि लोगों में बलिदान और राष्ट्रीय भावना की पैदा करने और देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुर सैनिकों को उचित श्रद्धांजलि देने के लिए इसकी स्थापना की गई है.