नई दिल्ली- बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने भर से माता-पिता और अभिभावकों की जिम्मेदारी अब पूरी नहीं होगी बल्कि उन्हें उसके समग्र विकास के लिए स्कूलों के साथ जुड़कर काम करना होगा।उन्हें घरों में बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल देने सहित स्कूलों के साथ जुड़कर बच्चों के विकास पर कैसे नजर रखना है आदि से जुड़ी जानकारियां दी जाएगी।
बच्चों के समग्र विकास पर जोर
स्कूलों के लिए तैयार किए गए एनसीएफ में पहली बार पाठ्यक्रम के साथ बच्चों से जुड़े उन पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है, जो बच्चों के समग्र विकास के लिए जरूरी होते हैं। इनमें स्कूल के साथ घर-परिवार और आस-पास के माहौल को भी पढ़ने-पढ़ाने लायक बनाने की जरूरत बताई गई है। एनसीएफ के तहत यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि बच्चे स्कूल के बाद यदि कहीं सबसे ज्यादा समय रहते है, तो उनका घर, परिवार व मोहल्ला होता है। ऐसे में यदि वहां का माहौल ठीक नहीं तो स्कूल चाहकर भी उसके प्रदर्शन को बेहतर नहीं बना पाएगा।
इसे लेकर जिन अहम कदमों की सिफारिश की गई है, उनमें ओरिएंटेशन क्लास, पैरेंट- टीचर मीटिंग, माता- पिता के संवाद, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी गठित करने, बाल मेला, प्रदर्शनी, स्वच्छता और स्वास्थ्य कैंप जैसी गतिविधियों को चलाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही स्कूलों में आयोजित होने प्रत्येक कार्यक्रमों में अभिभावकों के साथ ही समाज के जुड़े लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
माता-पिता की भागीदारी हो सुनिश्चित
एनसीएफ के अनुसार अभी स्कूलों में माता-पिता या अभिभावक सिर्फ दाखिला दिलाने या बच्चों का रिजल्ट लेने के लिए ही आते है। बाकी दिनों में वह बच्चों की कोई सुध नहीं लेते है। ऐसे में स्कूलों से कहा है कि वह माता-पिता और अभिभावक को इसके लिए प्रेरित करें और यह सुनिश्चित करें कि वह नियमित रूप से स्कूल आए। बच्चों की पढ़ाई का आकलन करें और जरूरी सुझाव भी दें। इसके साथ ही स्कूलों में आयोजित होने वाले प्रत्येक कार्यक्रमों में भी माता-पिता व समाज के प्रबुद्ध लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क जारी किया गया है। जिसके तहत स्कूलों के लिए कक्षा तीन से बारहवीं तक की पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएगी। माना जा रहा है कि यह पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार हो जाएगी। इसके साथ ही फ्रेमवर्क के तहत प्रस्तावित की गई सभी सिफारिशें भी स्कूलों में लागू की जाएगी।