टेली लॉ सर्विस– ताजा चर्चा की वजह इसका रेडियो जिंगल है, जो आकाशवाणी के सभी 272 केंद्रों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है. यह प्रेरित करता है कि जब भी कानूनी मदद चाहिए, अपने निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर पहुंचें. केंद्र सरकार की यह पहल बातचीत के माध्यम से मामले निपटाने की है, जिससे गरीब-गुरबे थाना-पुलिस-अदालत के चक्कर लगाने से बच सकें.
इसका असर भी देखा जा रहा है. इस मुहिम के तहत शुरुआत से 31 जुलाई 2023 तक 48.11 लाख से ज्यादा मामले रजिस्टर्ड हुए और इनमें से 47.52 लाख सुलझाए गए हैं. अगर टेली लॉ सर्विस तक पहुंचे इन 48.11 लाख से अधिक मामलों में से आधे भी अदालत तक पहुंच जाते तो कम से कम 24 लाख मुकदमों का अतिरिक्त बोझ अदालतों पर पड़ता. इस तरह यह प्रयोग सफल माना जा रहा है.
कब हुई टेली लॉ सर्विस की शुरुआत?
टेली लॉ सर्विस की शुरुआत न्याय विभाग ने साल 2017 में की. इसमें देश भर में फैले 2.50 लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स की मदद ली गई. इसका उद्देश्य गरीबों, एससी-एसटी समुदाय के लोगों को कानूनी मदद देना था. इसमें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉर्मेशन एंड टेक्नॉलॉजी की मदद ली गई. इसके लिए रेडियो के जरिए लोगों को जागरूक किया गया.
शरू में स्कीम की प्रगति धीमी थी लेकिन अब देश भर से लोग अपनी कानूनी दिक्कतों के लिए अपने नजदीकी सीएससी तक पहुंच रहे हैं. सरकार की ओर से नामित वकील वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें सुन रहे हैं और सुझाव दे रहे हैं. अब तो सरकार ने टेली लॉ मोबाइल ऐप भी बना दिया है. कोई भी व्यक्ति इस ऐप के माध्यम से भी कानूनी मदद ले सकता है.
कैसे मिलेगी मदद?
अगर आपको या पड़ोसी को कानूनी मदद चाहिए तो उसके लिए निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर पहुंचना होगा. वहां सेंटर इंचार्ज मामले को सुनते हुए आपका केस पंजीकृत कर देंगे. फिर आपको सरकार की ओर से वकील नामित कर दिए जाएंगे. इसकी सूचना और वकील ऑनलाइन कब मिलेंगे, इसकी जानकारी भी आपको दी जाएगी. तब आपको वकील से बातचीत को फिर कॉमन सर्विस सेंटर आना होगा. वकील को आप अपनी दिक्कत बताएंगे. वे सुन-समझकर आपको कानूनी मदद करेंगे.
अगर आप कॉमन सर्विस सेंटर तक नहीं जाना चाहते तो सरकार ने इसके लिए एक मोबाइल ऐप टेली लॉ उपलब्ध है, जहां पंजीकृत करने के बाद आपको वही वकील घर बैठे मदद करेंगे. बस आपके फोन में अच्छा इंटरनेट होना चाहिए. अगर नेटवर्क की समस्या हो तो कॉमन सर्विस सेंटर जाना ज्यादा बेहतरीन रहेगा.
गरीबों पर केंद्रित सर्विस क्यों शुरू हुई?
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्वनी दुबे कहते हैं कि द लीगल सर्विस अथाॅरिटी एक्ट 1987 में प्रावधान है कि गरीब, दलित, पिछड़ों को सर्वसुलभ न्याय के लिए सरकार मदद करेगी. इसके लिए सरकार ने नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी का गठन किया. समय के साथ इसकी यूनिट्स तहसील स्तर तक खोली गईं, यह अभी भी उपलब्ध हैं. जिन्हें जानकारी है, वे इसका लाभ भी ले रहे हैं.
टेली लॉ सर्विस की शुरुआत सरकार ने साल 2017 में की. क्योंकि तब देश में इंटरनेट सुविधा बेहतर हो गई थी. इसमें दिनों-दिन सुधार हो रहा है. यह मुहिम इसलिए मददगार हो रही है क्योंकि सरकार के पास देश भर में 2.50 लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स उपलब्ध हैं. यहां पहुंचकर कोई भी व्यक्ति खुद को पंजीकृत करेगा. इसी के साथ उसे वकील का समय मिल जाएगा. इसकी सूचना मोबाइल पर भी देने की व्यवस्था है. तय समय पर व्यक्ति को एक बार फिर से आना होगा. वकील भी ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगे.
टेली लॉ की वेबसाइट के होम पेज पर सभी आंकड़े उपलब्ध हैं. यहां बेहतर परफॉर्मेंस देने वाले कॉमन सर्विस सेंटर के स्टाफ और वकीलों की तस्वीर के साथ उनके काम को सराहा गया है. किस वकील ने कितने केस निस्तारित किए, यह भी दर्ज है. CSC तक पहुंचे और मदद पाने में कामयाब रहे लोगों के अनुभव भी यहां उपलब्ध कराए गए हैं.