नई दिल्ली- भारत में डाक्टरों के लिए पहली बार इंटरनेट मीडिया दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा है कि डाक्टर इंटरनेट मीडिया पर मरीजों की जानकारी पोस्ट न करें। एनएमसी ने आरएमपी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर) के लिए हाल ही में जारी पेशेवर आचरण संबंधी नियम में कहा है कि डाक्टरों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इंटरनेट मीडिया पर लाइक, फालोअर्स बढ़ाने की होड़ में शामिल होने से बचना चाहिए।
क्या कहा अधिसूचित नियमों में ?
एनएमसी द्वारा दो अगस्त को अधिसूचित नियमों में कहा गया कि डाक्टरों को इंटरनेट मीडिया पर मरीजों के इलाज की चर्चा नहीं करनी चाहिए। डाक्टर किसी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर मरीजों के लिए दवा भी न लिखें। अगर कोई मरीज इंटरनेट मीडिया के माध्यम से डाक्टरों से संपर्क करता है, तो डाक्टर को स्थिति के अनुसार मरीज को टेलीमेडिसिन परामर्श या व्यक्तिगत परामर्श के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए।
जानकारी भ्रामक नहीं होनी चाहिए
डाक्टरों को इलाज से ठीक हुए मरीजों की तस्वीरें भी इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट नहीं करनी चाहिए। डाक्टर सर्जरी प्रक्रिया से संबंधित वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर साझा न करें। कहा गया है कि डाक्टरों को टेलीमेडिसिन परामर्श और इंटरनेट मीडिया के बीच अंतर को समझना चाहिए।
डाक्टर इंटरनेट मीडिया पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकते हैं, लेकिन यह जानकारी तथ्यात्मक होनी चाहिए। जानकारी भ्रामक नहीं होनी चाहिए। इसमें मरीज की कमजोरी या जानकारी की कमी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। यह स्पष्ट किया गया कि डाक्टरों को केवल शिक्षाप्रद सामग्री साझा करने की अनुमति है।