नई दिल्ली-संसद के मानसून सत्र में अब तक खूब हंगामा देखा गया है। हंगामे के बीच कई विधेयक पेश हुए हैं और कई पेश होने हैं। वहीं, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को वित्तीय बिल यानी कि मनी विधेयक करार देने की चर्चा तेज हो गई, जिस पर केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को इस आरोप का खंडन किया और इसे ‘सामान्य बिल’ करार दिया। सरकार ने लोकसभा में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और व्यावसायिक घरानों जैसी संस्थाओं को डेटा के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनाना है।
क्या होता है मनी बिल?
संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है। धन विधेयक उसे कहते हैं जिसमें टैक्स लगाने और टैक्स खत्म करने, उधार लेने, संचित निधि से धन की निकासी, लेखा परीक्षा और लेखा से संबंधित अधिनियम शामिल होते हैं। धन विधेयक को केवल लोक सभा में चर्चा के लिए पेश किया जाता है। धन विधेयक को सिर्फ मंत्री पेश कर सकता है।
क्या होता है साधारण बिल?
साधारण विधेयक को कानून बनाने के लिए विभिन्न लेवल पार करना पड़ता है। इस बिल में धन विधेयक और वित्त विधेयक छोड़कर सभी मामले शामिल हैं। साधारण बिल को लोकसभा या राज्यसभा किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। साथ ही साधारण बिल को किसी मंत्री के अलावा कोई निजी सदस्य भी पेश कर सकता है।
साधारण विधेयक और धन विधेयक में अंतर
साधारण विधेयक | धन विधेयक |
साधारण विधेयक को किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। | धन विधेयक को सिर्फ लोकसभा में पेश किया जा सकता है। |
साधारण विधेयक को मंत्री या कोई अन्य सदस्य पेश कर सकता है। | धन विधेयक को सिर्फ मंत्री ही लोकसभा में पेश कर सकते हैं। |
साधारण विधेयक पेश करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति की जरूरत नहीं है। | धन विधेयक को पेश करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति की जरूरत है। |
साधारण विधेयक कैसे होता है पारित?
साधारण विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। इस विधेयक को मंत्री या निजी सदस्य पेश कर सकता है। ये वित्त से जुड़े मामले को छोड़कर सभी मामलों से जुड़ा है। साधारण विधेयक का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 107 और 108 में किया गया है।
धन विधेयक कैसे होता है पारित?
धन विधेयक का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 109 में किया गया है। इस विधेयक को सिर्फ लोकसभा में पेश किया जाता है, इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही धन विधेयक को लोकसभा में पेश करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति की जरूरत पड़ती है।