नई दिल्ली- विदेशी छात्रों को लुभाने के चलाए जा रहे स्टडी इन इंडिया (एसआइआइ ) प्रोग्राम को आने वाले दिनों में और रफ्तार मिलेगी। शिक्षा और विदेश मंत्रालय ने एक साथ मिलकर इसे लेकर एक बड़ी पहल की है, जिसमें देश में पढ़ाई के लिए आने वाले विदेशी छात्रों को प्रवेश, वीजा आदि से जुड़ी वह सारी सहूलियतें दी जाएगी, जो किसी भी दूसरे देश में अध्ययन के लिए जरूरी होती है।
पोर्टल को किया गया लॉन्च
इसके लिए एक पोर्टल भी लांच किया गया है। जहां विदेशी छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़े कोर्स और यात्रा से जुड़ी सारी जानकारी मिलेगी। इस दौरान स्नातक और परा स्नातक स्तर के सामान्य कोर्सों के साथ योग, आयुर्वेद सहित भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े ऐसे सभी कोर्सों की भी ब्रांडिंग की जाएगी, जिन्हें लेकर दुनिया भर में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
शिक्षा मंत्रालय ने की है पहल
शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अमल में की है, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों को इस तरह से तैयार करने की पहल की गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्रों को लुभाया जाए सके। अभी देश से बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों पढ़ाई के लिए विदेश तो जा रहे है, लेकिन विदेश से पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों की संख्या काफी कम है।
अध्ययन यात्रा को सरल बनाएगा पोर्टलः धर्मेंद्र प्रधान
इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि स्टडी इन इंडिया के तहत तैयार किया यह पोर्टल विदेशी छात्रों को न सिर्फ एक वन-स्टॉप मंच प्रदान करेगा, बल्कि उनकी अध्ययन यात्रा को भी सरल बनाएगा। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की शिक्षा को वैश्विक स्वरूप देने के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाएगा। इस पहल से विदेशी छात्रों के लिए भारत एक पसंदीदा जगह के रूप में तब्दील होगा। इस मौके पर भारत में पढ़ रहे रूस, थाईलैंड, जापान, इथोपिया, इक्वाडोर, कजाकिस्तान और दक्षिण कोरिया आदि देशों के छात्र भी मौजूद थे।
विदेश मंत्री ने क्या कहा?
इस कार्यक्रम को विदेश मंत्री जयशंकर ने भी संबोधित किया और कहा कि यह पहल भारत को शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह शिक्षा क्षेत्र में ब्रांड ‘इंडिया’ की एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति स्थापित करेगा।
2018 में हुई थी स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम की शुरूआत
गौरतलब है कि स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम की शुरूआत वैसे तो 2018 में ही गई थी। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद और उच्च शिक्षण संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग में विदेशी छात्रों को आकलन का आधार बनाने से नए सिरे से रफ्तार दी जा रही है। सभी शीर्ष विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में विदेशी छात्रों के लिए अतिरिक्त सीटें सृजित करने और इंटरनेशनल सेल गठित करने आदि की भी पहल की गई है।