जानिए शिव पुराण के अनुसार कैसे बनाएं पार्थिव शिवलिंग और क्या होनी चाहिए उसकी पूजा विधि

सावन में पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है। शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया है। कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन शुरू किया था।शिव महापुराण के अनुसार इस पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन हर कोई कर सकता है। चाहे वो पुरूष हो या महिला। पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि-विधान से पूजा करने से दस हजार कल्प यानी करोड़ों साल तक स्वर्ग में रहता है।

शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। हर दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक और परलोक में भी अखण्ड शिव भक्ति मिलती है।

नदी-तालाब की मिट्टी से बनाते हैं पार्थिव शिवलिंग

  1. पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लें। उस मिट्टी को फूल, चंदन और अन्य पूजन सामग्री से शोधित करें।
  2. मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें। शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें।
  3. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए।
  4. मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़ , मक्खन और भस्म मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाएं।
  5. पार्थिव शिवलिंग 12 अंगुल से ऊंचा नहीं होना चाहिए। इससे ज्यादा ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य नहीं मिलता। शिवलिंग पर चढ़ाई हुई चीजें ग्रहण नहीं करनी चाहिए।

पहले इन देवों की पूजा करें

शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।

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