RBI दरों में नहीं करेगा बदलाव, घरेलू मुद्रास्फीति 6.50% रहेगी जस के तस!

भारतीय रिजर्व बैंक अपकमिंग मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में प्रमुख ब्याज दरों (रेपो रेट) पर यथास्थिति बनाए रख सकती है। यानी रेपो रेट 6.50% रहने की उम्मीद है।यह लगातार तीसरी बार होगा जब RBI दरों में बदलाव नहीं करेगी। RBI ने फरवरी से दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, जब इसे 6.25 प्रतिशत से 25 आधार अंक बढ़ाया गया था। अप्रैल और जून में पिछली दो मीटिंग में बेंचमार्क दर को बरकरार रखा गया था।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) अगली मीटिंग में 8-10 अगस्त को होगी। इसमें लिए गए नीतिगत फैसलों की घोषणा 10 अगस्त को RBI गवर्नर करेंगे।

अमेरिका और यूरोप में बढ़ाई ब्याज दर

पिछले हफ्ते अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 5.25-5.50% कर दी, जिससे यह कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने गुरुवार को एक चौथाई प्रतिशत अंक की नई दर वृद्धि की घोषणा की, जिससे उसकी रेपो रेट 3.75% हो गई है।

  • मुद्रास्फीति कम रहने से ब्याज दर में बदलाव की उम्मीद कम : बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मुद्रास्फीति इस समय 5% से कम चल रही है। इस कारण उम्मीद है कि RBI ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा। हालांकि, आने वाले महीनों में महंगाई बढ़ने के साथ मुद्रास्फीति में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।’
  • 2 हजार के नोट वापस लेने से स्थिति अनुकूल : कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘चूंकि 2 हजार रुपए के नोट को वापस लेने की घोषणा के बाद नकदी की स्थिति अनुकूल हो गई है, इसलिए उम्मीद है कि RBI मौजूदा स्टांस पर कायम रहेगा। हालांकि, घरेलू मुद्रास्फीति के रुख पर सभी की निगाहें रहेंगी।’
  • CPI के 6% से ऊपर जाने का अनुमान : इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सब्जियों की कीमतों में उछाल से जुलाई 2023 में CPI या खुदरा मुद्रास्फीति 6% से ऊपर जाने का अनुमान है। ऐसे में रेपो रेट पर यथास्थिति बनी रहने के साथ MPC की तीखी टिप्पणी देखने को मिल सकती है।

महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछली मिटिंग के बाद बताया था कि वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023-24 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है। Q1 में 8%, Q2 में 6.5%, Q3 में 6% और Q4 में 5.7% GDP रह सकती है।

RBI ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक 6 बार में दरों में 2.50% की बढ़ोतरी की है। अप्रैल में रेपो रेट को 6.50% पर अपरिवर्तित रखा गया था। उससे पहले फरवरी में दरों को 6.25% से बढ़ाकर 6.50% किया गया था। मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग हर दो महीने में होती है।

रेपो रेट में बदलाव न होने से लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी

RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

2023-24 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% रह सकती है

RBI गवर्नर ने GDP को लेकर कहा था कि भारत की वित्त वर्ष 2023 में रियल GDP 7.2% देखने को मिली जो पहले के 7% के अनुमान से ज्यादा मजबूत है। सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए रियल GDP ग्रोथ 6.5% देखने को मिल सकती है।

महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता बरकरार

RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। RBI के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। RBI ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.2% से घटाकर 5.1% किया है।RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर अर्जुन की नजर बनाए रखने की जरूरत को दोहराया। उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी 4% के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। उन्होंने ये भी कहा कि यात्रा का अंतिम चरण हमेशा सबसे कठिन होता है.

जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?

अप्रैल में रिटेल महंगाई दर घटकर 4.70% पर आ गई है। मार्च में महंगाई दर 5.66% रही थी। ये लगातार तीसरा महीना था जब महंगाई दर में कमी आई थी। इतना ही नहीं रिटेल महंगाई का अक्टूबर 2021 से ये सबसे निचला स्तर भी था। खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट, बिजली और ईंधन की महंगाई घटने की वजह से रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली थी।

थोक महंगाई दर (WPI) अप्रैल में घटकर-0.92% पर आ गई थी। इससे पहले मार्च 2023 में थोक महंगाई दर 1.34% रही थी। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85% थी। ये लगातार 11वां महीना था जब होल-सेल महंगाई कम हुई थी। खाने-पीने के सामान और ईंधन और बिजली के दामों में गिरावट आने से थोक महंगाई घटी थी।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।अप्रैल में रिटेल महंगाई दर घटकर 4.70% पर आ गई है। मार्च में महंगाई दर 5.66% रही थी।

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