100 सालों का सबसे गर्म महीना हो सकता है जुलाई,2024 में हालात और बिगड़ सकते हैं

ज्ञान/विज्ञानं– 100 सालों का सबसे गर्म महीना हो सकता है। इस महीने में अब तक किसी न किसी देश में हर दिन गर्मी के रिकॉर्ड टूटे हैं। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की बात की जानकारी यूरोपियन यूनियन और मेन यूनिवर्सिटी में हुई स्टडी से मिली है।इस दौरान ग्राउंड और सैटेलाइट डेटा को स्टडी किया गया। इसमें हीटवेव के बढ़ने और इससे होने वाले नुकसान साफ दिखाई दिए। अमेरिका, यूरोप, चीन जैसे देशों में हीटवेव से हालात बिगड़ रहे हैं। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच गया है। ये लगातार बढ़ रहा है। रिकॉर्ड टूट रहे हैं।

अल नीनो एक वेदर ट्रेंड है, जो हर कुछ साल में एक बार होता है। ये घटना दुनिया के सबसे बड़े महासागर प्रशांत महासागर में होती है। इसमें ईस्ट पैसिफिक ओशन में पानी की ऊपरी परत गर्म हो जाती है। वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने बताया कि इस क्षेत्र में फरवरी में औसत तापमान 0.44 डिग्री से बढ़कर जून के मध्य तक 0.9 डिग्री पर आ गया था।

अल-नीनो का असर इस साल के आखिर में बढ़ेगा

क्लाइमेटोलॉजिस्ट श्मिट ने कहा- फिलहाल अल-नीनो का जलवायु परिवर्तन पर असर कम पड़ रहा है। ये आने वाले समय में बढ़ सकता है। समुद्र में पानी की ऊपरी परत तेजी से गर्म हो रही है। ये तापमान एटमॉसफियर में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की वजह से बढ़ रहा है। हम ईंधन के लिए फॉसिल फ्यूल्स को जलाते हैं। इनके जलने से हर साल दुनिया भर से 4000 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन (कार्बन एमिशन) होता है।

3 जुलाई दुनिया का सबसे गर्म दिन था अमेरिका के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के मुताबिक, 3 जुलाई अब तक का सबसे गर्म दिन बन गया था। इस दिन एवरेज ग्लोबल टेम्परेचर 17 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया, जो अगस्त 2016 में दर्ज किए गए अब तक के सबसे गर्म दिन के तापमान (16.92 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा था।

ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एन्वायर्नमेंट के साइंटिस्ट फ्रेड्रिक ऑट्टो ने कहा- हमने कोई ऐसा मील का पत्थर नहीं पार किया है, जिसका जश्न मनाना चाहिए। ये इको सिस्टम के लिए मौत की सजा जैसा है।अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के सैटेलाइट ने 13 जुलाई 2022 को धरती के ज्यादातर हिस्सों में 40 डिग्री के पार तापमान रिकॉर्ड किया था। टेम्प्रेचर पिछले साल से लगातार बढ़ता जा रहा है।

US में हीटवेव की चपेट में 11 करोड़ लोग

अमेरिका में लगातार बढ़ते पारे ने लोगों को जीना मुश्किल कर दिया है। इसकी चपेट में 11 करोड़ 30 लाख लोग हैं। फ्लोरिडा, कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की जा चुकी हैं। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस ने लोगों से कहा है कि वो अपने सेहत के साथ कोई रिस्क ने लें।

15 जुलाई को अमेरिका के एरिजोना राज्य में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। अमेरिकी मौसम विभाग ने बताया है कि कैलिफोर्निया की डेथ वैली में इस हफ्ते पारा 54 डिग्री तक पहुंच जाएगा। डेथ वैली दुनिया की सबसे गर्म जगहों में से एक है।

यूरोप के कई देशों में तापमान 45 डिग्री पहुंचा

यूरोप की स्पेस एजेंसी ने इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड में गर्मी को लेकर अलर्ट जारी किया है। यहां तापमान 45 डिग्री पहुंच गया है। इटली ने रोम और फ्लोरेंस समेत अपने 16 शहरों के लिए हीटवेव की चेतावनी जारी की है। सरकार ने लोगों से 11 से शाम 6 बजे तक धूप में न रहने की सलाह दी है।

स्पेन के कैनरी आइलैंड में तापमान बढ़ने से जंगल की आग शुरू हो गई है। वहीं, ग्रीस में भी लोग गर्मी से परेशान हैं। ग्रीस में जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ गया है। 2021 में भी जंगल में आग लगने की बड़ी घटना हुई थी।चीन में भी हीटवेव के साथ तापमान रिकॉर्ड 35 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है।

2050 तक धरती का तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ा तो ये चीजें होंगी

  • 10 साल के भीतर आर्कटिक महासागर की पूरी बर्फ पिघल जाएगी।
  • मालदीव जैसे देश पूरी तरह से डूबने की कगार पर आ जाएंगे।
  • मुंबई, चेन्नई, विशाखापट्टनम जैसे 12 शहर 3 फिट पानी में डूब जाएंगे।
  • बाढ़ का बहाव 2000 की तुलना में 6.7 गुना ज्यादा होगा।
  • दुनिया की 14% आबादी हीट वेव का सामना करेगी।
  • क्वाला, सफेद भालू समेत 4% जानवर विलुप्त हो जाएंगे।

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