आषाढ़ महीना– सोमवार आषाढ़ मास 5 जून से शुरू हो गया है। ये महीना सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होगा। पूरे महीने में पांच सोमवार का संयोग भी बन रहा है। ज्योतिष में इस वार को सौम्य माना गया है, इसलिए ये संयोग शुभ फलदायी माना जा रहा है। ये शुभ योग अच्छी बारिश होने और देश की उन्नति का संकेत है। पांच सोमवार होने के प्रभाव से देश में उपद्रव और विरोध प्रदर्शनों में कमी आने की संभावना है।आषाढ़ मास की व्रत वाली अमावस्या 17 जून को रहेगी और स्नान-दान 18 को किया जाएगा।
यह है आषाढ़ महीने का महत्व
आषाढ़ मास जेष्ठ और श्रावण मास के बीच में होता है। आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के पर रखा गया है। इस महीने में पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा दोनों नक्षत्रों के बीच रहता है। जिसकी वजह से इस महीने को आषाढ़ कहा जाता है। आषाढ़ मास में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
इस महीने में दान-पुण्य का विशेष महत्व
मिथुन राशि में सूर्य भ्रमण का समय देवशयनी एकादशी तक विशेष रहेगा। ऐसे में यह पूरा महीना दान-पुण्य के लिए विशेष माना गया है। 5 सोमवार का संयोग होने के कारण ज्योतिषी इस माह को विशेष मान रहे हैं। इस दौरान शिवजी की विशेष पूजा और अनुष्ठान भी कराए जा सकते हैं।
मिथुन में सूर्य भ्रमण शुभ कार्यों के लिए फलदायी
मिथुन राशि में सूर्य भ्रमण के समय विवाह जैसे मांगलिक कार्य देवशयनी एकादशी तक रहेंगे। इसके बाद चातुर्मास का प्रारंभ होने से 4 माह के लिए विवाह जैसे शुभ कार्य स्थगित हो जाएंगे। मिथुन में सूर्य का भ्रमण शुभ कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। इस समय मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, विद्यारंभ, वर-वरण, कन्या-वरण, प्रतिष्ठान का प्रारंभ, वस्तु क्रय-विक्रय, विवाह जैसे मांगलिक कार्य हो सकेंगे।