पृथ्वी को मिल गया एक और चांद मिल गया,2100 वर्ष से पृथ्वी के आस-पास ही कांट रहा था चक्कर

2023 FW13– पृथ्वी को एक और चांद मिल गया है। एक नई स्टडी में इसका खुलासा हुआ है। ये चांद क्वासी-मून यानी अर्ध-चंद्रमा है। क्वासी-मून एक स्पेस रॉक (एस्टेरॉयड) होता है, जो पृथ्वी और सूर्य दोनों का चक्कर लगाता है, लेकिन सूर्य के गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटी) से बंधा हुआ होता है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्य स्पेस रॉक को अपनी तरफ खींचता है।

एस्ट्रोनॉमर्स ने हवाई के Pan-STARRS टेलीस्कोप की मदद से 2023 FW13 नाम का क्वासी-मून खोजा है। उनके मुताबिक, ये 2100 साल (100BC) से पृथ्वी के आस-पास ही मौजूद था अब इसकी पहचान हुई है। ये अगले 1500 साल यानी AD 3700 तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी की कक्षा छोड़ देगा। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा।

2023 FW13 सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है जितने समय में (365 दिन) पृथ्वी लगाती है, साथ ही ये पृथ्वी के चारों ओर भी चक्कर लगाता है।ये क्वासी-मून या क्वासी-सैटेलाइट के ऑर्बिट की प्रतीकात्मक डायग्राम है। आमतौर पर क्वासी-सैटेलाइट सूर्य और पृथ्वी दोनों के चक्कर लगाती है। हालांकि, ग्रह की जगह ये सूर्य की ग्रैविटी से बंधा होता है।

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इसलिए 2023 FW13 को कह रहे क्वासी-मून 

क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहा जाता है। इन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे ये चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हों। लेकिन ये पृथ्वी की जगह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं। इसलिए इन्हें क्वासी कहा गया है। वहीं, चांद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधा होता है।

ये हमारे चंद्रमा से किस तरह अलग है? नया चांद- 2023 FW13 पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ के बाहर चक्कर लगता है। ‘हिल स्फीयर’ किसी भी ग्रह का ऐसा हिस्सा है, जहां ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे ज्यादा ताकतवर होता है। इसी बल के कारण उपग्रह, ग्रह की ओर खिचते हैं। पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस (त्रिज्या) 1.5 मिलियन किलोमीटर है, जबकि 2023 FW13 का रेडियस इससे बड़ा यानी 1.6 मिलियन किलोमीटर है। वहीं, हमारे चंद्रमा के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस सिर्फ 60 हजार किलोमीटर है।यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है।

ये एक ऑनलाइन सिम्युलेटर से ली गई तस्वीर है। इसमें 2023 FW13 की कक्षा (ऑर्बिट) दिखाई दे रही है।

पहली बार मार्च 2023 में दिखा था, आकर कोई का पता नहीं

2023 FW13 को पहली बार 28 मार्च को PanSTARRS टेलिस्कोप से देखा गया था। अब इसके अस्तित्व की पुष्टि हुई है। इसे इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर में लिस्ट किया गया है। 2023 FW13 कितना बड़ा है, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन साइंटिस्ट रिचर्ड बिनजेल का कहना है कि इसका डायमीटर (व्यास) 30-50 फीट हो सकता है। ये हमारे चंद्रमा के व्यास का एक छोटा सा अंश है।

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