अमरावती के 8 प्रसिद्ध मंदिरों में ड्रेस कोड लागू, अकोला के मंदिरों में कब होगा लागु

अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनकर प्रवेश पर अब रहेगी रोक, निर्णय की हो रही प्रशंसा

 

 

अमरावती/ अकोला : अमरावती के आठ मंदिरों में श्रद्धालु अब अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं कर सकेंगे. इस संबंध में मंदिर संस्थानों की ओर से ड्रेस कोड लागू किया गया है. यह जानकारी मंदिर महासंघ की ओर से मंगलवार की शाम को महाकाली माता मंदिर शक्ति पीठ में आयोजित पत्रकार परिषद में दी गई. इस अवसर पर  यह भी स्पष्ट किया गया इन मंदिरों में यदि कोई छोटे कपड़े पहनकर आता है तो उसे दर्शन से वंचित नहीं रखा जाएगा बल्कि महिलाओं को चुनरी और पुरुष को लुंगी प्रदान की जाएगी, जिन्हें पहनने के बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा
दिया जाएगा.

मंदिर की पवित्रता और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए मंदिरों ने ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया है. इस संदर्भ में फरवरी माह में जलगांव में महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद में प्रस्ताव रखा गया था. अमरावती में हुए प्रांतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन में इस विषय पर चर्चा किए जाने की जानकारी महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक सुनील घनवट ने दी. पत्र परिषद में महाकाली माता मंदिर पीठाधीश्वर शक्ति महाराज, राजेंद्र पांडे, नितिन व्यास, श्रीकांत पिसोलकर, विनीत पाखोड़े, अनूप जायस्वाल, मीना पाठक, राजेश देवा जयेश डेटा सस्थित थे

इन मंदिरों में लागु हुआ ड्रेस कोड

अमरावती के अंबादेवी संस्थान सहित बालाजी मंदिर जयस्तंभ चौक, पिंगलादेवी देवस्थान नेर पिंगलाई, संतोषी माता मंदिर, आशा मनीषा देवी संस्थान दर्यापुर, श्री लक्ष्मी-नारायण देवस्थान देवली, शहतूत बाग हनुमान मंदिर परतवाड़ा, दुर्गामाता मंदिर वैष्णोधाम और महाकाली माता मंदिर में ड्रेस कोड लागू किया गया है.

भक्तो की मांग अकोला में जल्द लागु हो इस तरह के नियम

अकोला विदर्भ में धार्मिक दृष्टी से काफी महत्वपूर्ण जिला है, यहाँ कई प्राचीन मंदिर है और शिक्षा का हब भी माना जाता है कई बार अकोला में यह देखा गया है की युवा वर्ग और आज कल की मॉडर्न बहुए मंदिर जाते समय भूल जाती है की यह धार्मिक परिसर है और किस तरह का ड्रेस यहा पहनना चाहिए, अब महाराष्ट्र्र के कई जिलो में ड्रेस कोड लागु हो चूका है तो अकोला के जागरूक मंदिर संस्थान एकत्रित होकर यह नियम जिले के प्रमुख मंदिरों में कब लागु करगे, ऐसा प्रश्न सनातनी नागरिको द्वारा पूछा जा रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here