नई दिल्ली- यूरोप और यूएस बैंकिंग क्राइसिस के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने स्थानीय बैंकों को चेतावनी दी है. साथ ही उन्होंने यह भी सलाह दी है कि जब समय अच्छा चल रहा हो तो बुरे समय के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को अपने रिटेल पोर्टफोलियो स्पेशली अनसिक्योर्ड लोन पर नजर रखने के लिए कहा है. जिसमें पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड, स्मॉल बिजनेस लोन माइक्रो फाइनेंस लोन शामिल हैं. जून 2020 के बाद से प्राइवेट बैंकों में अनसिक्योर्ड लोन की कुल हिस्सेदारी में औसतन 3 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह केंद्रीय बैंक के लिए अच्छा नहीं रहा है.
कितना अनसिक्योर्ड लोन
एक प्राइवेट बैंक के सीईओ ने कहा कि आरबीआई ने बैंकों को अनसिक्योर्ड लोन के संबंध लिमिट में रहने को कहा है, क्योंकि वित्त वर्ष 2023 आरबीआई ने इसे ओवर लिमिट जाते हुए देखा है. आरबीआई की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2022 से फरवरी 2023 के बीच बांटा गया अनसिक्योर्ड लोन 2.2 लाख करोड़ रुपये था, जो बड़े कॉर्पोरेट्स को दिए 1.18-लाख करोड़ से ज्यादा था.
इस अवधि के दौरान होम लोन मार्केट का साइज 2.49 लाख करोड़ रुपये था जो अनसिक्योर्ड लोन मार्केट के मुकाबले थोड़ा ही बड़ा था. केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में अनसिक्योर्ड लोन मार्केट को 13.2 लाख करोड़ रुपये का आंका गया है, जो एनबीएफसी के कुल एक्सपोजर (13.1 लाख करोड़ रुपये) के बराबर है.
चेतावनी के बाद भी बढ़ा अनसिक्योर्ड लोन
साल 2019 में, क्रेडिट कार्ड को छोड़कर अनसिक्योर्ड लोन पर रिस्क वेट 125 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया था ताकि उन्हें अन्य रिटेल लोन के बराबर रखा जा सके. एक प्राइवेट बैंक सीनियर अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि बैंकों, खासकर प्राइवेट बैंकों को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद, ये अनसिक्योर्ड लोन सिक्योर्ड रिटेल लोन की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं. अगर यह ट्रेंड लगातार जारी रहता है तो रेगुलेटर फिी से रिस्क वेट में इजाफा कर सकता है.