जल बजट – गर्मियों की इस विकराल समस्या पर काबू पाने की कवायद केरल में हुई है। देश में पहली बार, केरल ने गर्मियों में पानी की कमी से निपटने के लिए जल बजट अपनाया है। देश में यूनिक स्टेप लेने के मामले में केरल ने मील का पत्थर कायम किया है। केरल की हरियाली इस बात का संकेत है कि यहां पानी भरपूर है। नैसर्गिक सौंदर्य से भरे इस प्रदेश को भगवान का अपना देश यानी भी कहा जाता है।
प्रचुर मात्रा में नदियों, झरनों, बैकवाटर और वर्षा जल की प्राकृतिक नेमत पाने वाले प्रदेश- केरल में भरपूर पानी होने के बावजूद कई हिस्सों में जल संकट देखा जा रहा है। अप्रैल का दूसरा हफ्ता शुरू हो चुका है। गर्मियों में पानी की भारी कमी की खबरें हैं।
जल संकट को दूर करने के लिए वाटर बजट अपनाने की पहल की गई है
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को 15 ब्लॉक पंचायतों में 94 ग्राम पंचायतों को कवर करते हुए राज्य में जल बजट के पहले चरण की शुरुआत की। वाटर बजट की शुरुआत के बाद CM विजयन ने कहा कि राज्य में पानी की उपलब्धता में कमी देखी जा रही है। इसलिए जल बजट संसाधनों के उचित उपयोग और अपव्यय को रोकने में सहायक होगा। जल विशेषज्ञों ने पहल का स्वागत किया है। इनका कहना है कि राज्य को कीमती तरल संसाधन की मांग और आपूर्ति का पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अनुसार पानी पर बजट का विभाजन होगा। उन्होंने कहा, समस्या उपलब्धता नहीं, प्रबंधन की है।
केरल के कोट्टायम में ट्रॉपिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजिकल साइंस के निदेशक, डॉ. पुन्नन कुरियन ने कहा, केरल में औसत तापमान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और इसकी बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग ही है। कोई अल्पकालिक समाधान नहीं है। राज्य में हरियाली बढ़ाकर कंक्रीट क्षेत्र को कम करना होगा। लिम्नोलॉजिस्ट और एससीएमएस जल संस्थान के निदेशक डॉ सनी जॉर्ज ने कहा, “यह कमी का मुद्दा नहीं है, यह एक प्रबंधकीय समस्या है।” उन्होंने कहा, “संसाधन का प्रबंधन करने के लिए, आपको सबसे पहले इसकी मात्रा निर्धारित करने की जरूरत है।