कैसे ट्रेन को दिखाता है सही रास्ता?क्या होता है रेलवे का होम सिग्नल? पढ़े रोचक जानकारी

नई दिल्ली- कई बार ऐसा होता है कि ट्रेन किसी बड़े स्टेशन से गुजर रही हो तो उसे धीमा कर दिया जाता है और कई बार वह फुल स्पीड से ही प्लेटफॉर्म पार करती है.स्टेशन से पहले जो पहला सिग्नल होता है उसे होम सिग्नल कहा जाता है और यहीं से ट्रेन के ड्राइवर को पता चलता है कि ट्रेन सीधे तेजी से निकलेगी या फिर धीमी होगी. मजेदार बात ये है कि यह काम मैनुअली किया जाता है. यानी सिग्नल पर जो लाइट ऑन होगी उसे स्टेशन मास्टर खुद अपने केबिन से करेगा. इसके अलावा बाकी सभी सिग्नल ऑटोमेटिक तरीके से संचालित होते हैं.

होम सिग्नल पर तीन कुल चार रंग की लाइट होती हैं

लाल, पीली, हरी और सफेद. बाकी तीन लाइट का काम आम ट्रैफिक लाइटों की तरह ही होता है. बस रेलवे के संदर्भ में इनका मतलब थोड़ा बदल जाता है. लाल लाइट का अर्थ जाहिर तौर पर रुकने का इशारा है. हरी लाइट का मतलब होता है कि ट्रेन मेन लाइन से बगैर गति को धीमा किए प्लेटफॉर्म पार कर सकती है. पीली लाइट का मतलब होता है कि ड्राइवर को गाड़ी धीरे करने के लिए कहा जा रहा है.

क्या करती है सफेद लाइट?

सफेद लाइट इन तीन लाइटों से अलग तिरछी लगी होती है. इसे हमेशा पीले रंग की लाइट के साथ ही ऑन किया जाता है. यह लाइट उन स्टेशन पर ऑन की जाती है जहां कई प्लेटफॉर्म हों और ड्राइवर को यह बताना हो कि उसे किस लाइन से स्टेशन में प्रवेश करना है.

पिली लाइट का महत्व

पीली लाइट के साथ इसे ऑन करने का मकसद ट्रेन को धीरे-धीरे स्टेशन के अंदर लाना है. इस लाइट को रूट इंडिकेटर कहा जाता है. रेल मंत्रालय ने एक ट्वीट के जरिए खुद यह जानकारी दी है.

ट्विटर पर काफी एक्टिव रेल मंत्रालय

रेल मंत्रालय ट्विटर पर काफी एक्टिव है. आए दिन रेलवे कुछ न कुछ मजेदार बातें लोगों के साथ साझा करता रहता है. हाल ही में रेल मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट पर कर्नाटक के यशवंतपुर रेलवे स्टेशन के री-डेवलेपमेंट के बाद की संभावित तस्वीरें शेयर की गई थीं. इसे ट्वीट को 2855 लोगों ने लाइक किया है व 597 लोग शेयर कर चुके हैं. इसमें 4 बताया गया है कि रीडेवलपमेंट के बाद रेलवे स्टेशन कैसे दिखेगा. चिनाब ब्रिज पर पटरियां बिछने का काम पूरा होने के बाद ट्रॉली ट्रायल रन का वीडियो भी इस अकाउंट से शेयर किया गया है.

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