नई दिल्ली- कहीं जाने के लिए ट्रेन की टिकट बुक करते हैं तो कई बार कन्फर्म टिकट नहीं मिलने की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं ये समस्या त्योहार के समय और ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन अब रेलवे इस समस्या को मिटाने के लिए नई तकनीक का सहारा लेने वाली है. बता दें कि रेलवे अब टिकट कन्फर्म करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करने वाली है. इससे ट्रेनों में वेटिंग के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा.
भारतीय रेलवे ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तैयार किया है. जिसकी मदद से रेलवे का टिकट अपने आप कंफर्म हो जाएगा. कहा जा रहा है कि इससे ट्रेनों में लगभग 5 से 6 फीसदी तक की वेटिंग में कमी आएगी. बता दें कि रेलवे ने इस तकनीक का ट्रायल भी कर लिया है जिसमें उन्हें सफलता मिली है. आइए जानते हैं इस तकनीक के आने से क्या फायदे होंगे.
ट्रायल में रेलवे को मिली सफलता
भारतीय रेलवे ने कन्फर्म टिकट की समस्या से निपटने के लिए एक इन हाउस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम तैयार किया है. इसके लिए भारतीय रेलवे की सॉफ्टवेयर ब्रांच सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) की मदद ली जाएगी. ट्रायल के दौरान इस प्रोग्राम राजधानी एक्सप्रेस सहित करीब 200 ट्रेनों की डिटेल को इसमें फीड किया गया. इसके बाद यह चेक किया गया कि सीटों की डिमांड को यह सिस्टम कैसे मैनेज करता है. इस ट्रायल में रेलवे को सफलता मिली और यह पाया गया कि ज्यादातर वेटिंग टिकट कंफर्म हो गए.
अभी रेलवे कर रहा है स्टडी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम के जरिए वेटिंग टिकट कन्फर्म करने के ट्रायल के दौरान अलग-अलग तरीके से इसे टेस्ट किया गया. इसमें किसी ट्रेन में यात्रियों के टिकट बुक करने के पैटर्न को समझा गया. साथ ही जिन स्टेशनों के लिए सबसे ज्यादा टिकट बुक किए गए उनकी भी स्टडी की गई. इसके अलावा साल में किसी एक टाइम पर जिन स्टेशनों के लिए सबसे ज्यादा टिकटों की डिमांड रही उनका भी पता लगाया गया. हालांकि, अभी तक इस तकनीक पर रेलवे की स्टडी जारी है. इसे पूरी तरह जांचने के बाद रेलवे इस प्रोग्राम को लागू करने पर विचार करेगा.
इस तकनीक से रेलवे को होगा करोड़ों का फायदा
रेलवे में वेटिंग टिकट कन्फर्म करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के इस्तेमाल से वेटिंग लिस्ट कम होने की उम्मीद की जा रही है. बताया जा रहा है कि इससे पहले की तुलना में ज्यादा टिकट कंफर्म करने में मदद मिलेगी. रेलवे का कहना है कि यदि इस तकनीक को लागू कर दिया गया तो रेलवे के रेवेन्यू में करोड़ों रुपये की बढ़ोतरी होगी. इससे रेलवे को प्रत्येक ट्रेन से सालाना एक करोड़ रुपये ज्यादा रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है.