बसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में बड़ी ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस पर्व को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। यह एक ऐसा हिंदू पर्व है जो जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।यह पर्व माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, इसी वजह से इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती हैं।
यह वर्ष का वह समय भी होता है जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं। इसी वजह से वातावरण बहुत ही खूबसूरत दिखने लगता है।कल कब मनाया जाएगा बसंत पंचमी का पर्व, इसका महत्व क्या है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
सरस्वती पूजा की तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन हर साल बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 26 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
- माघ मास की पंचमी तिथि आरंभ : 25 जनवरी 2023, दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर
- माघ मास की पंचमी तिथि समापन : 26 जनवरी 2023 प्रातः 10 बजकर 28 मिनट तक
- पूजा का शुभ मुहूर्त: 26 जनवरी 2023 प्रातः 7 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक
- चूंकि उदया तिथि में बसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ेगी, इसलिए इसी दिन यह पर्व मनाना शुभ होगा और सरस्वती पूजन का लाभ मिलेगा।
सरस्वती पूजा के शुभ योग
- हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार सरस्वती पूजा पर 4 शुभ योग बनने वाले हैं। इन शुभ योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग शामिल हैं। जहां एक ओर बसंत पंचमी के दिन सर्वार्थसिद्धि योग 26 जनवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट से लेकर 27 जनवरी सुबह 7 बजकर 12 मिनट रहेगा।
- तो वहीं, रवि योग 26 जनवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट से अगले दिन सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही, शिव योग 26 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 29 मिनट तक होगा. इसके अलावा, सिद्ध योग पूरे दिन रहने वाला है।
बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।इस दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें पीले फूल चढ़ाने का विधान है। यही नहीं इस दिन यदि आप पीले वस्त्रों में माता का पूजन करते हैं और भोग में पीली खाद्य सामग्री चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
बसंत पंचमी के दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन शादी विवाह (शादी विवाह मुहूर्त 2023) जैसे कार्यक्रम भी बिना मुहूर्त के संपन्न हो सकते हैं। इस दिन को शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
सरस्वती पूजा की विधि
- वसंत पंचमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो पीले वस्त्र पहनें।
- एक साफ़ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर माता स्वरस्वती की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- माता की तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल (गंगाजल के उपाय )से स्नान कराएं और उन्हें साफ़ पीले रंग के वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- माता को पीले फूल, अक्षत्, हल्दी , पीला गुलाल, धूप, दीप, आदि अर्पित करें। माता को पीले फूलों की माला से सजाएं।
- मां सरस्वती को हल्दी का तिलक लगाएं और उनका पूजन करें।
- सरस्वती जी की आरती करें और भोग में पीले सामग्री जैसे पीले चावल, बेसन के लड्डू, पीली मिठाई आदि अर्पित करें।
- इस दिन आप पूजन के पश्चात हवन भी कर सकते हैं और हवन के बाद प्रसाद का वितरण करें।
इस विधि के अनुसार यदि आप बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन करते हैं और माता को पीली चीजों का भोग लगाते हैं तो उनकी कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती हैl