महाराष्ट्र की कंपनी, बेजो शीतल सीड्स प्राइवेट लिमिटेड ने जनक और बीएसएस- 793 नामक पहली फिलियल जेनरेशन हाइब्रिड बैंगन की किस्मों को ईजात किया है. अब इस कंपनी ने कर्नाटक के एक विश्वविद्यालय से अपनी बीटी बैंगन की फसल किस्मों के जैव सुरक्षा परीक्षण की मांग की है. यह कदम आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों को केंद्र की पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने के ठीक बाद आया है.
बेजो शीतल के निदेशक नंदकुमार कुंचगे ने दावा किया कि बैंगन की किस्में फसल प्रजनन तकनीकों के माध्यम से विकसित की जाती हैं और बेहतर गुणवत्ता, एकरूपता और उपज के साथ अपनी प्राकृतिक किस्मों से बेहतर प्रदर्शन करती है. खास बात यह है कि जनक और बीएसएस- 793 की बीटी किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित ट्रांसजेनिक तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है. इसमें बीटी जीन, क्राय1 एफए1 जीन का इस्तेमाल किया गया है, जिसे आईएआरआई ने पेटेंट कराया है.
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कर्नाटक से अनुरोध किया है
कंपनी ने परीक्षण आयोजित करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर साइंसेज, बागलकोट, कर्नाटक से अनुरोध किया है. निदेशक ने कहा कि बेजो शीतल ने 2005 में तकनीक का लाइसेंस लिया था. यह विशेष रूप से शूट और फ्रूट बोरर ल्यूसिनोड्स ऑर्बोनालिस जैसे कीटों के खिलाफ प्रतिरोध के लिए विकसित किया गया है. किस्मों में प्रतिरोध 97 प्रतिशत तक बताया गया है. इसका मतलब है कि अगर आप 100 फल उठाते हैं, तो 97 बिना किसी नुकसान के विपणन योग्य हैं.
इसकी लागत भी औसतन 35,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है
उन्होंने कहा कि तना छेदक कीट 88 प्रतिशत से अधिक फसलों का नुकसान कर सकते हैं, जो बरसात के मौसम में 95 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. कुंचगे ने कहा कि सामान्य तौर पर नुकसान उत्पादन का 11-93 फीसदी होता है. नंदकुमार कुंचगे ने कहा कि जीएम किस्म की शुरूआत 23-140 से लेकर आवश्यक स्प्रे की संख्या को नियंत्रित करने में मदद करेगी, जो उत्पादन लागत के 35-40 प्रतिशत से अधिक है. इसकी लागत भी औसतन 35,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है.
उपभोक्ताओं को कीटनाशक अवशेषों से बचाएंगी
कुंचगे ने दावा किया कि संकर किस्में उपभोक्ताओं को कीटनाशक अवशेषों से बचाएंगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, “भारत में लगभग 14 प्रतिशत कीटनाशकों का उपयोग सब्जियों की फसलों और बैंगन में किया जाता है, प्रति हेक्टेयर 4.6 किलोग्राम कीटनाशकों के सक्रिय तत्व बताए जाते हैं.” न्यूनतम अवशिष्ट स्तर से ऊपर के 9.5 प्रतिशत नमूनों में अत्यधिक छिड़काव से कीटनाशक अवशेषों की सूचना मिलती है. ये हानिकारक होते हैं और कैंसर जैसी कई पुरानी बीमारियों का कारण बनते हैं. बीटी बैंगन की किस्म ऐसे जहरीले रसायनों से निपटने में मदद करेगी.
बीज की आवश्यकता का अनुमान लगाया जाएगा
अगर हाइब्रिड बैंगन किस्मों के परीक्षण के अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाता है, तो कंपनी परीक्षण दिशानिर्देशों के लिए भारत में जैव प्रौद्योगिकी नियामक, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) से संपर्क करेगी. समय रहते दिशा-निर्देश मिल जाते हैं तो खरीफ सीजन में एक हेक्टेयर क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा नामित वैज्ञानिक या फसल प्रजनक की देखरेख में परीक्षण किया जाएगा. जीईएसी द्वारा परीक्षण योजना को मंजूरी देने के बाद बीज की आवश्यकता का अनुमान लगाया जाएगा.