सस्‍ता हो जाएगा कर्ज और टैक्‍स भी बचेगा, मकान खरीदारों के लिए ये 5 राहत दे सकती है सरकार

नई दिल्ली- हाउसिंग सेक्टर का प्रदर्शन 2022 में काफी अच्छा रहा. एनारॉक रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की सेल 2021 के मुकाबले पिछले साल 50% से अधिक बढ़ी. हालांकि, 2023 हाउसिंग सेक्टर के लिए अच्छा रहने की उम्मीद नहीं है. यहीं बजट 2023 थोड़ा हस्तक्षेप कर खरीदार और विक्रेता दोनों पक्षों की ओर से इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि बजट में अगर कुछ घोषणाएं की जाएं तो रियल एस्टेट सेक्टर को सपोर्ट मिल सकता है.

रियल एस्टेट से जुड़े विशेषज्ञ अतुल मोंगा ने कहा है कि रियल एस्टेट और होम लोन सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं लेकिन अभी इनके साथ कुछ कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है. ऐसा बढ़ती ब्याज दरों की वजह से हो रहा है इसलिए ऋणदाताओं के लिए जरूरी है कि वह आकर्षक ब्याज के साथ कर्ज ऑफर करें. इसके अलावा इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट बजट से ऐसी 5 घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं जो इस सेक्टर को बढ़ावा दे सकती हैं.

टैक्स में छूट

जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का होम लोन और रियल एस्टेट सेक्टर पर बड़ा असर पड़ने का अनुमान है. बढ़ती ब्याज दरें खरीदारों के लिए चिंता का विषय हैं. ऐसे में सरकार को धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज पर कर छूट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने जैसे कदम उठाने की जरूरत है.

होम लोन नियम में बदलाव

आईएमजीसी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अनुज शर्मा का कहना है कि होम लोन को किफायती बनाने के लिए होम लोन पर ब्याज दरों को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वैसे तो लोन की दरें आरबीआई की नीतिगत दरों पर निर्भर करती हैं लेकिन बजट होम लोन लेने के नियमों में ढील देकर घर खरीदारों को राहत प्रदान कर सकता है. इसमें डाउनपेमेंट की न्यूनतम सीमा को घटाया जा सकता है

अफोर्डेबल हाउसिंग लिमिट में बदलाव

एक्सपर्ट कहते हैं कि किफायती आवास के तहत मानी जाने वाली संपत्ति के लिए 45 लाख रुपये का मौजूदा प्राइस बैंड भारत के अधिकांश शहरों में उचित नहीं है. इसे बढ़ाकर 75 लाख रुपये या उससे अधिक किया जाना चाहिए.

जीएसटी में राहत

विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माणाधीन और किफायती आवास के लिए मौजूदा जीएसटी संरचना डेवलपर्स पर अतिरिक्त बोझ पैदा डालती है, जिससे खरीदारों के लिए संपत्तियों की उच्च लागत बढ़ जाती है. स्टील और सीमेंट पर जीएसटी क्रमशः 18% और 28% है लेकिन डेवलपर्स इनपुट मैटेरियल पर दिए गए जीएसटी के लिए टैक्स क्रेडिट नहीं क्लेम कर सकते हैं. सरकार इस बजट में इनपुट टैक्स क्रेडिट बहाल करने की घोषणा करती है तो जरूर इससे डेवलपर्स पर खर्च का बोझ कम होगा.

रेंटल हाउसिंग

फरांडे स्पेस के अध्यक्ष और क्रेडाई पुणे-मेट्रो के अध्यक्ष अनिल फरांडे का कहना है कि भारत में किराये के आवासों का मार्केट अभी भी पूरी तरह से नहीं विकसित हुआ है. इस बजट में सरकार रेंटल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स बनाने वाले डेवलपर्स को टैक्स इन्सेंटिव देकर इस क्षेत्र को बढ़ावा दे सकती है.

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