इसके अलावा केंद्र सरकार ने आज एक निगरानी समिति भी बनाई है। यह समिति इको सेंसेटिव जोन की निगरानी करेगी। केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि इस समिति में जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थायी रूप से शामिल किया जाए।
इस पुरे प्रकरण को लेकर दिव्य हिन्दी के प्रबंध संपादक विमल जैन ने २३ दिसंबर को केन्द्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी जी से संसद भवन दिल्ली में मिलकर इस पुरे प्रकरण को उठाया था, तब रेड्डी जी ने विमल जैन को आपना स्टेटमेंट देते हुए कहा था कि, कोई सर्कुलर नहीं निकलेगा , हमने पत्र दे दिया है झारखंड सरकार को ! ‘तिर्थ’ तिर्थ ही बने रहेंगे, किसी भी तिर्थ को पर्यटन क्षेत्र नहीं बनने देंगे, ऐसा रेड्डीजी ने विमल जैन को बताया था. और आज केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में पत्र भी जारी कर दिया हिया… दिव्य हिंदी की भावनाएं स्पष्ट है, इसलिये बातचित प्रभावशाली ढंग से होती है! ‘दिव्य हिंदी’ संस्कृति और राष्ट्र का प्रहरी मंत्री है।
भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को दिल्ली में जैन समाज के प्रतिनिधियों से मीटिंग की। इसके बाद यादव ने कहा- जैन समाज को आश्वासन दिया गया है कि PM नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्र सरकार ने 2019 में किया नोटिफाई
2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प पत्र जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया। गिरिडीह जिला प्रशासन ने नागरिक सुविधाएं डेवलप करने के लिए 250 पन्नों का मास्टर प्लान भी बनाया है।
श्री पारसनाथ पर्वत पर इन गतिविधियों पर रहेगा प्रतिबंध
- शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थ की बिक्री
- तेज संगीत या लाउडस्पीकर बजाना
- पालतू जानवरों के साथ आना
- अनधिकृत कैंपिंग और ट्रेकिंग
- मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री
- इसके अलावा ऐसी सारी एक्टिविजी पर रोक रहेगी, जिससे जल स्रोत, पौधे, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों को नुकसान पहुंचता हो।
पर्यावरण मंत्रालय के दो पन्नों का नोटिफिकेशन नीचे पढ़ें…
सम्मेद शिखर का यह है महत्व
झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए कई किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुंचते हैं।