शीत ऋतु का कारण
3 जनवरी पर पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट रहने पर भी शीत ऋतु रहती है, जिसका कारण पृथ्वी का अपने अक्ष पर साढ़े 23 डिग्री झुकाव है। जिसके प्रभाव से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है। इससे उत्तरी गोलार्ध में एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी ध्रुव क्षेत्र में बर्फीले तूफान, भूकंप, ध्रवीय चुंबकीय तूफान ऑरर आते हैं। सूर्य की सर्वाधिक समीपता से उत्तरी गोलार्ध में प्राकृतिक घटनाएं अधिक घटित होती हैं।
सूर्य और पृथ्वी के मध्य 50 लाख किमी का यह अंतर पृथ्वी पर अनेक बड़े.बड़े परिवर्तन का कारक बनता है। ज्योतिष्याचार्य खण्डेलवाल ने बताया कि पृथ्वी की औसत गति में वृद्धि से अपकेंद्रीय बल का बढऩा ज्वार भाटे की प्रचंडता, समुद्री तूफान, समुद्री धाराएं और लहरों का प्रभावित होना। पृथ्वी की आंतरिक हलचल ध्रुवीय तूफान का आना इत्यादि कारक बनता है। ये घटनाएं दिसंबर के अंत एवं जनवरी के आरंभ में सर्वाधिक होती हैं।
सूर्य से निकटतम दूरी
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अंडाकार कक्ष में गति करती हुई 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के निकटतम बिंदु तक पहुंच जाती हैं । 3 जनवरी को पृथ्वी 14 करोड़ 71 लाख किमी दूरी पर रहती हैं। इसे उपसौर कहते हैं। इसके विपरीत 3 जुलाई को पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी 15 करोड़ 21 लाख किमी पर रहती है । इस प्रकार 50 लाख किमी का अंतर आ जाता है । इस प्रकार सूर्य की सर्वाधिक निकटतम दूरी पर 3 जनवरी को उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की ऋतु रहती है।