निर्वाचन आयोग की ओर से प्रवासी नागरिको को रिमोट वोटिंग की भेट,जाने क्या हैं रिमोट वोटिंग

नई दिल्ली- घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए निर्वाचन आयोग ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है, जिससे उन्हें वोट डालने के लिए अपने राज्य नहीं लौटना होगा. प्रवासी मतदाता जिस शहर या राज्य में काम करते हैं, वहीं से अपने राज्य के चुनाव में वोटिंग कर सकेंगे. इसके लिए चुनाव आयोग ने नई वोटिंग मशीन तैयार की है, जिसका नाम रिमोट वोटिंग मशीन है.

ईसीआई ने सभी राजनीतिक दलों को आगामी 16 जनवरी को RVM कैसे काम करेगी, इसका डेमो दिखाने के लिए आमंत्रित कया है. डेमो देखने के बाद सभी राजनीतिक दल किसी भी संदेह की स्थिति में 31 जनवरी तक चुनाव आयोग को अपने सुझाव भेज सकेंगे. एक RVM से 72 चुनाव क्षेत्रों का मतदान हैंडल किया जा सकेगा.

रिमोट वोटिंग पर एक जारी किया अवधारणा पत्र 

निर्वाचन आयोग के एक बयान के अनुसार, ‘रिमोट वोटिंग पर एक अवधारणा पत्र जारी किया गया है और इसे लागू करने में पेश होने वाली कानूनी, प्रशासनिक प्रक्रियात्मक, तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियों पर राजनीतिक दलों के विचार/सुझाव मांगे गए हैं. इसके जरिए एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों में रिमोट वोटिंग की सुविधा दी जा सकेगी. इससे प्रवासी मतदाताओं को मतदान के लिए अपने गृह राज्य/नगर जाने की जरूरत नहीं होगी और वे जहां हैं, वहीं से मतदान कर सकेंगे.

भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘रिमोट वोटिंग एक परिवर्तनकारी पहल साबित होगी’. आपको बता दें कि अभी भारत में रिमोट वोटिंग नहीं होती. रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में रहने वाले घरेलू प्रवासी मतदाताओं को वोट डालने अपने राज्य, शहर, घर लौटना पड़ता है.चुनाव आयोग 30 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं के मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर चिंतित है. वोटर नई जगह जाने पर कई वजहों के चलते चुनाव में मतदान करने के लिए अपने घरेलू मतदान केंद्र पर नहीं लौट पाता है. ईसीआई ने कहा कि घरेलू प्रवासियों का वोटिंग करने में असमर्थ होना चिंता का विषय है.

चुनाव आयोग ने बयान में कहा कि 2019 के आम चुनाव में 67.4% मतदान हुआ था. करीब 33% मतदाताओं ने वोटिंग नहीं की थी, इसमें बड़ा हिस्सा प्रवाती मतदाताओं का होगा, जो वोटिंग करने के लिए अपने घर नहीं पहुंच पाते. वे कई वजहों से नए निवास स्थान पर खुद को वोटर के रूप में पंजीकृत नहीं करा पाता या करा सकता है. घरेलू प्रवासियों द्वारा मतदान में असमर्थता वोटिंग प्रतिशत में सुधार लाने और चुनाव में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रमुख कारणों में से एक है.
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