राजस्थान के सीकर में सोमवार सुबह खाटूश्याम मंदिर में भगदड़ मच गई। हादसे में 3 महिलाओं की मौत हो गई। 4 लोग घायल हुए हैं।हादसा सुबह 5 बजे तब हुआ, जब एकादशी के मौके पर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ गई थी। देर रात से ही श्रद्धालु लाइन में लगे थे। जैसे ही सुबह मंदिर के पट खुले, भगदड़ मच गई।हादसे में मारी गईं महिला शांति देवी की बेटी पूनम घटना के बाद से सदमे में है। बड़ी मुश्किल से घटना के बारे में वह सिर्फ इतना बता पाई कि सुबह जैसे ही गेट खुला तो अचानक हमारे ऊपर करीब 15-20 महिलाएं आकर गिरीं। जिसमें बच्चे भी थे और इसके बाद लोग हमारे ऊपर से होते हुए निकल गए। पूनम ने बताया कि वह हिसार से अपनी मां शांति और मामा के साथ खाटू श्याम जी आई हुई थी।
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। संभागायुक्त विकास सीताराम भाले पूरे मामले की जांच करेंगे। जांच से पहले ही जिला प्रशासन ने हादसे को भगदड़ मानने से इनकार कर दिया है। सीकर कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी ने कहा कि प्रवेश दर्शन मार्ग का गेट खोलते समय भीड़ के दबाव के चलते यह हादसा हुआ है।
हादसे में महिला शांति देवी, कृपा देवी और माया देवी मारी गई हैं। कृपा देवी जयपुर के मानसरोवर इलाके की रहने वाली थीं, वहीं माया देवी यूपी के हाथरस से थीं। बॉडीज को खाटूश्यामजी हॉस्पिटल की मॉर्चुरी में रखवाया गया है, जहां उनका पोस्टमार्टम होगा l खाटूश्यामजी मंदिर परिसर में भगदड़ के बाद मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाते हुए राहत-बचाव कर्मी।हादसे के बाद खाटूश्याम जी के दर्शन दोबारा शुरू हो गए हैं। तस्वीर में आप भक्तों की लंबी कतारें देख सकते हैं।खाटूश्यामजी मंदिर का मुख्य द्वार। यहां लगने वाले मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।
हालात काबू में, दर्शन दोबारा शुरू- पुलिस
पुलिस ने बताया कि मंदिर के बाहर भारी भीड़ जमा थी। जैसे ही मंदिर के गेट खुले, लोग एक-दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ने लगे। कुछ लोगों ने बताया कि धक्का-मुक्की में एक महिला बेहोश होकर गिर पड़ी। इसके चलते पीछे आ रहे लोग भी गिरने लगे। भगदड़ की खबर मिलते ही पुलिस टीम मंदिर पहुंची और हालात संभाले। मंदिर में दर्शन दोबारा शुरू हो गए हैं।
PM और CM ने दुख जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि खाटू श्यामजी में भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौत से दुखी हूं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि हादसे में मारी गईं तीनों महिलाओं के परिजनों के साथ उनकी संवेदनाएं हैं। उन्होंने घायलों की जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।
ग्यारस पर पांच लाख से ज्यादा लोग करते हैं दर्शन
खाटूश्याम जी के मासिक मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पट बंद होने के कारण श्रद्धालुओं की कई किलोमीटर की लाइन लग जाती है।
हर महीने दाे बार ग्यारस तिथि पर खाटूश्याम जी के दर्शन के लिए लाखों लाेग उमड़ते हैं। ऐसा अनुमान है कि हर ग्यारस पर यहां राजस्थान समेत अन्य प्रदेशों से 5 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं। ग्यारस पर खाटूश्याम जी के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है।
सोमवार, 8 अगस्त की सुबह खाटूश्याम जी के मंदिर में हादसा हो गया। हर महीने एकादशी पर यहां मेला लगता है। सावन कृष्ण एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी पर श्याम बाबा के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे हैं। सुबह भक्तों की भीड़ ज्यादा हो गई थी, इसी वजह से मंदिर में भगदड़ मच गई, जिसमें 3 महिला भक्तों की मौत हो गई है और कुछ अन्य भक्त घायल हुए हैं।
राजस्थान में जयपुर से करीब 80 किमी दूर सीकर जिले में खाटूश्याम जी का मंदिर है। यहां हर महीने एकादशी पर मेला लगता है, जिसमें देशभर से लाखों भक्त शामिल होते हैं और खाटूश्याम जी के दर्शन करते हैं। श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। इसी वजह से बाबा के भक्तों की संख्या काफी अधिक है। जानिए खाटू श्याम जी से जुड़ी कथा…
घटोत्कच के पुत्र थे बर्बरीक
खाटूश्याम जी का मूल नाम बर्बरीक है। द्वापर युग में यानी महाभारक के समय पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे बर्बरीक। बर्बरीक बहुत शक्तिशाली थे। जब महाभारत युद्ध शुरू हुआ तो बर्बरीक की माता ने उनसे कहा कि कौरव-पांडवों का युद्ध शुरू हो गया है। तुम भी युद्ध में जाओ और जो भी पक्ष कमजोर हो, जो हार रहा हो, उसकी ओर से युद्ध लड़ना।
बर्बरीक माता की बात मानकर युद्ध भूमि के लिए निकल पड़े। बर्बरीक को तीन बाण धारी भी कहा जाता है। उनके पास तीन ऐसे दिव्य बाण थे जो अभेद थे। ये बाण अपना लक्ष्य पूरा करके वापस बर्बरीक के तरकश में लौट आते थे। बर्बरीक को युद्ध में कोई हरा नहीं सकता था।रास्ते में बर्बरीक की मुलाकात श्रीकृष्ण से हुई। बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को अपनी माता की आज्ञा के बारे में बताया और कहा कि वे हारे का सहारा बनेंगे।श्रीकृष्ण को मालूम था कि युद्ध के अंत में कौरव हार जाएंगे और ऐसे में बर्बरीक कौरवों की ओर से युद्ध लड़ेगा तो पांडव युद्ध जीत नहीं पाएंगे। बर्बरीक की वजह से धर्म की हार होगी।
पांडवों को जीताने के लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका सिर दान में मांग लिया। बर्बरीक श्रीकृष्ण को अपना सिर दान में देने के लिए तैयार हो गए, उन्होंने कहा कि मैं मेरा सिर काटकर दे दूंगा, लेकिन मैं ये पूरा युद्ध देखना चाहता हूं।श्रीकृष्ण बर्बरीक की ये बात मानने के लिए तैयार हो गए। बर्बरीक ने अपना सिर काटकर श्रीकृष्ण को दान कर दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने एक ऐसी ऊंची जगह पर बर्बरीक का सिर रख दिया, जहां से वे पूरा युद्ध देख सके।बर्बरीक से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना नाम श्याम दिया और वरदान देते हुए कहा कि कलियुग में तुम्हारी पूजा मेरे नाम से ही होगी। हारे हुए लोगों की मनोकामनाएं तुम्हारी पूजा से पूरी हो सकेंगी।श्रीकृष्ण के वरदान की वजह से खाटू श्याम जी हारे के सहारे के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
कैसे पहुंच सकते हैं खाटूश्याम जी के मंदिर
ये मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में है। खाटूश्याम जी के मंदिर जाना चाहते हैं तो जयपुर पहुंचने के बाद यहां से कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जयपुर से प्रायवेट कैब मिल सकती है, कई बसें चलती हैं जो सीधे खाटूश्याम जी के मंदिर तक पहुंचा देती हैं। अगर आप ट्रैन से आना चाहते हैं तो खाटूश्याम जी के धाम का करीबी रेल्व स्टेशन रिंगस है। रिंगस से खाटू धाम करीब 18 किमी दूर है।